अप्रैल 2019 तक टली आर्टिकल 370 पर सुनवाई
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केंद्र और राज्य सरकार के अनुरोध पर ही सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई को अप्रैल 2019 तक टाल दिया है। इस मामले पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एम आर शाह की बेंच अप्रैल के पहले हफ्ते में सुनवाई करेगी। केंद्र सरकार की तरफ से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल राव ने इस याचिका पर सुनवाई को स्थगित करने की मांग की थी। उन्होंने कहा है कि मौजूदा हालात काफी संवेदनशील हैं। इस पर पीठ ने कहा कि वह अप्रैल, 2019 के पहले सप्ताह में इस मामले की सुनवाई करेगी।
केंद्र ने जम्मू-कश्मीर के हालात का दिया हवाला
अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल राव ने जम्मू-कश्मीर के मौजूदा हालात का हवाला देते हुए कहा, ‘‘राज्य में राजनीतिक स्थिति ऐसी है कि जिसमें इस मामले की सुनवाई नहीं की जानी चाहिए।’’ जम्मू कश्मीर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी और अधिवक्ता शोएब आलम ने कहा कि राज्य में नौ चरणों में चल रहे पंचायत चुनावों की वजह से सुनवाई स्थगित करने के लिए पत्र दिया गया है। इस पर बेंच ने कहा कि अनुच्छेद 35ए की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के साथ इस मामले को संलग्न किया जा सकता है।
अनुच्छेद 35ए राज्य में स्थाई नागरिकों को विशेष अधिकार और सुविधाएं प्रदान करने से संबंधित है। राज्य सरकार के वकीलों ने इस सुझाव का विरोध करते हुये कहा कि दोनों मुद्दे परस्पर भिन्न हैं और इस याचिका को पहले से लंबित याचिकाओं के साथ नहीं मिलाना चाहिए। इसके बाद, बेंच ने यह याचिका अप्रैल के पहले सप्ताह के लिये सूचीबद्ध कर दी।
शीर्ष अदालत ने कुमारी विजयलक्ष्मी झा की अपील पर सुनवाई के दौरान तीन अप्रैल को कहा था कि संविधान का अनुच्छेद 370 अस्थाई प्रावधान नहीं है। विजयलक्ष्मी झा ने दिल्ली उच्च न्यायलय के 11 अप्रैल, 2017 के फैसले के खिलाफ अपील दायर कर रखी है।