इससे पहले भी न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच हो चुका है टकराव
आपको बता दें कि यह कोई पहला अवसर नहीं है जब जजों की नियुक्ति को लेकर टकराव सामने आया है। इससे पहले भी कई बार टकराव देखने को मिला है और एक बार फिर से केंद्र सरकार और न्यायपालिका के बीच सीधे तौर पर एक बार फिर से टकराव होता दिखाई दे रहा है। मालूम हो कि जजों की भर्तियों को लेकर न्यायाधीश मदन बी लोकुर और अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल के बीच जमकर बहस हो चुकी है। इसी वर्ष मई में मणिपुर के एक मामले को लेकर सुनवाई के दौरान न्यायाधीश लोकुर ने के के वेणुगोपाल से पूछा कि फिलहाल उच्च न्यायालयों में जजों की नियुक्ति को लेकर कोलेजियम की कितनी सिफारिश लम्बित हैं? इस पर वेणुगोपाल ने कहा कि फिलहाल इसकी जानकारी जुटानी पड़ेगी। इस जवाब को सुनकर जस्टिस लोकुर काफी नाराज हो गए और कहा कि सरकार के साथ यही दिक्कत है कि मौके पर कहती है कि अभी जानकारी जुटानी पड़ेगी। समय रहते ऐसे जरूरी कामों को पूरा करने पर ध्यान ही नहीं दिया जाता है। इस पर वेणुगोपाल ने कहा कि कॉलेजिम को एक बड़ी तस्वीर देखनी चाहिए और ज्यादा से ज्यादा नामों को की सिफारिश करनी चाहिए। बता दें कि कुछ दिन पहले ही पांच राज्यों के हाईकोर्ट के लिए नए प्रधान न्यायधीशों के नामों की सिफारिश की गई थी।