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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- उम्‍मीदवार को अपना आपराधिक रिकॉर्ड बताना ही होगा

शीर्ष अदालत ने नीति नियंताओं से साफ शब्‍दों में कहा है कि संसद यह सुनिश्चित करे कि आपराधिक नेता राजनीति में न आएं।
 

नई दिल्लीSep 25, 2018 / 03:11 pm

Dhirendra

supreme court

नई दिल्‍ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक फैसले में कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में राजनीति का अपराधीकरण गंभीर चिंता का विषय है। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि भ्रष्टाचार और राजनीति का अपराधीकरण भारतीय लोकतंत्र की नींव को खोखला कर रहा है। संसद को इस महामारी से निपटने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। चुनाव लड़ने से पहले प्रत्येक उम्मीदवार को अपना आपराधिक रिकॉर्ड निर्वाचन आयोग के समक्ष घोषित करना होगा। उम्मीदवारों को निर्वाचन आयोग को एक फॉर्म भर कर देना होगा जिसमें उनका आपराधिक रिकॉर्ड और आपराधिक इतिहास बड़े-बड़े अक्षरों में दर्ज होना चाहिए।
उम्‍मीदवार पार्टी को दें सभी सूचना

मंगलवार को यह मुख्‍य न्‍यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से यह फैसला दिया। पीठ ने सभी राजनीतिक दलों से कहा कि वे अपने उम्मीदवारों के संबंध में सभी सूचनाएं अपनी वेबसाइट पर अपलोड करें। उम्मीदवार अपने आपराधिक रिकॉर्ड के बारे में राजनीतिक दलों को पूरी सूचना दें। सभी राजनीतिक दलों से जुड़े उम्मीदवारों के रिकॉर्ड का प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से गहन प्रचार किया जाना चाहिए।
प्रत्‍याशियों का रिकॉर्ड जानने का पूरा अधिकर
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने विधायिका से कहा कि वह राजनीति से अपराधीकरण को समाप्त करने के लिए कानून बनाने पर विचार करे। शीर्ष अदालत ने कहा कि जिन लोगों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले लंबित हैं, विधायिका में उनके प्रवेश और कानून बनाने में उनकी भागीदारी को रोकने के लिए कानून बनाने की जरूरत है। अपने आदेश में पीठ ने इस बात पर जोर दिया है कि ना‍गरिकों को अपने उम्मीदवारों का रिकॉर्ड जानने का पूरा अधिकार है।
सुप्रीम कोर्ट ने दागी नेताओं को लेकर चल रहे मुकदमें में अहम फैसला सुना दिया है। अपने अहम फैसले में शीर्ष अदालत ने दागी नेताओं के चुनाव लड़ने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। मंगलवार कोर्ट ने कहा कि चार्जशीट के आधार पर जनप्रतिनिधियों पर कार्रवाई नहीं की जा सकती है। चुनाव लड़ने से रोकने के लिए सिर्फ चार्जशीट ही काफी नहीं है। यानी सुप्रीम कोर्ट आरोप के आधार पर दागी नेताओं के चुनाव लड़ने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। लेकिन शीर्ष अदालत ने नीति नियंताओं से साफ शब्‍दों में कहा है कि संसद यह सुनिश्चित करे कि आपराधिक नेता राजनीति में न आएं।
वेबसाइट पर डालें आपराधिक जानकारियां
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में सभी राजनीतिक दलों से कहा है कि वो पार्टी की वेबसाइट पर दागी नेताओं के बारे में सभी आपराधिक रिकॉर्ड्स अपलोड करें। पार्टी की वेबसाइट पर इसे डालना कोर्ट ने अनिवार्य बताया है। कोर्ट के इस आदेश से तय हो गया है कि भले ही नेताओं के चुनाव लगाने पर शीर्ष अदालत ने रोक नहीं लगाई है, लेकिन पब्लिक डोमेन में ये जानकारियां सभी राजनीतिक पार्टियों की वेबसाइट पर उपलब्‍ध होंगी।
पांच जजों की पीठ का फैसला
भाजपा नेता अश्विनी उपाध्‍याय की याचिका पर सुनवाई पांच जजों की पीठ कर रही थी। इस पीठ में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस आरएफ नरिमन, जस्टिस एम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा शामिल थीं। अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने अपनी दलील में कहा था कि ज्यादातर मामलों में आरोपी नेता बरी हो जाते हैं। इसलिए सदस्यता रद्द करने जैसा कोई आदेश न दिया जाए। इसके बाद कोर्ट ने इस मुद्दे पर अहम फैसला आज सुना दिया है।
रोक लगाने की मांग
भाजपा नेता अश्चिवनी उपाध्‍याय ने इस याचिका के जरिए मांग की थी कि अगर किसी व्यक्ति को गंभीर अपराधों में पांच साल से ज्यादा सजा हो और किसी के खिलाफ आरोप तय हो जाएं तो ऐसे व्यक्ति या नेता के चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जाए। इसके अलावा याचिका में ये मांग भी की गई है कि अगर किसी सासंद या विधायक पर आरोप तय हो जाते हैं तो उनकी सदस्यता रद्द होनी चाहिए।

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