आज इनमें से पहले मामले में पांच सदस्यीय संविधान पीठ अपना फैसला सुनाएगी। इसमें आपराधिक मामलों में आरोप तय होने व पांच वर्ष की सजा के प्रावधान वाले मामले में लोगों पर चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगाई जाए या नहीं पर शीर्ष अदालत को फैसला लेना है। यह याचिका पब्लिक इंटरेस्ट फाउंडेशन सहित अन्य की ओर से दायर की गई है। दूसरे फैसले में सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ यह तय करेगी कि सांसद व विधायक बतौर वकील अदालत में प्रैक्टिस कर सकते हैं या नहीं। फिलहाल उनके प्रैक्टिस करने पर कोई रोक नहीं है। भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सांसद व विधायक के वकालत करने पर रोक की गुहार लगाई थी। उन्होंने याचिका के जरिए पूछा था कि अगर कोई सासंद या विधायक दागी है तो उसकी सदस्यता रद्द होनी चाहिए। पांच जजों के संविधान पीठ ने केंद्र से पूछा था कि क्या चुनाव आयोग को ये शक्ति दी जा सकती है कि वो आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार को चुनाव में उतारें तो उसे चुनाव चिन्ह देने से इनकार कर दे?
इस मामले में केंद्र की ओर से एजी के वेणुगोपाल ने इसका विरोध किया था। उन्होंने कहा कि ये चुने हुए प्रतिनिधि ही तय कर सकते हैं। ये काम चुने हुए प्रतिनिधियों का है या फिर इस अदालत में बैठे पांच जजों का ? सीजेआई दीपक मिश्रा ने केंद्र से कहा था कि हम अपने आदेश में ये जोड़ सकते हैं कि अगर अपराधियों को चुनाव में प्रत्याशी बनाया गया तो उसे चुनाव चिन्ह न जारी करें।