इस कार्यक्रम में पड़ोसी देश पाकिस्तान को नहीं बुलाए जाने पर मीडिया की ओर से पूछे गए सवाल पर आरएसएस दिल्ली इकाई के प्रचारक प्रधान राजीव तुली ने टिप्पणी से करने से इनकार कर दिया। इस बात की जानकारी दी गई है कि पाकिस्तान को छोड़कर अधिकांश एशियाई देशों के दूतावासों को निमंत्रण भेजा जाएगा। आरएसएस के एक कार्यकर्ता ने कहा कि चीनी दूतावास को भी आमंत्रित किया जाएगा क्योंकि चीन की भारत के साथ सांस्कृतिक समानताएं हैं। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद का समर्थन करने, भारतीय सैनिकों पर हमला बोलने की वजह से उसे नहीं बुलाने का निर्णय लिया गया है। साथ ही भारत के साथ उसके संबंध तनावग्रस्त हैं।
इस कार्यक्रम मे पहले दिन संघ प्रमुख मोहन भागवत आरएसएस के बारे में मौलिक जानकारी देंगे। वे आरएसएस के संगठनात्मक ढांचा, विचारधारा, दृष्टि, गतिविधियों और कार्यक्रमों के बारे में भी सबसे बात करेंगे। दूसरे दिन राष्ट्रीय महत्व के विभिन्न समकालीन मुद्दों पर जैसे आरक्षण, हिंदुत्व और सांप्रदायिकता सहित अन्य विषयों पर संघ का पक्ष रखेंगे।
आरएसएस ने इस कार्यक्रम में देश के सभी राजनीतिक दलों को शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है। इनमें कांग्रेस सहित क्षेत्रीय दल भी शामिल हैं। उन दलों को भी आमंत्रित किया गया है जो मुखर तरीके से आरएसएस के आलोचक हैं। राजनयिक मिशन और राजनीतिक दलों के अलावा उद्योग, मीडिया और अन्य क्षेत्रों के प्रतिनिधियों किया जाएगा।
आपको बता दें कि 27 अगस्त को आरएसएस अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार ने एक संवाददाता सम्मेलन में संघ की ओर से एक व्याख्यान श्रृंखला की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि आज भारत वैश्विक मंच पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसलिए आरएसएस को लेकर युवाओं को वैश्विक समुदायों में बढ़ती उत्सुकता को देखते हुए संघ ने सभी से संवाद का कार्यक्रम बनाया है। तीन दिवसीय कार्यक्रम 17 से 19 सितंबर तक चलेगा। इसमें विभिन्न मुद्दों पर संघ प्रमुख विचार रखेंगे और पूछे गए सवालों का जवाब देंगे।