सिंह ने कहा, मैं यह जोर देते हुए और स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि ये अभियान बेहद गुप्त होते हैं, जिसे सुपष्ट तरीके से अंजाम दिया जाता है और अपेक्षा की जाती है कि हमारे लोग वापस आने से पहले जहां तक संभव हो सके, वहां कोई सबूत नहीं छोड़ें।
पूर्व सेना प्रमुख ने कहा, आज के दौर में पर्याप्त इलेक्ट्रॉनिक उपकरण मौजूद हैं, जिनकी मदद से पूरी कार्रवाई को रिकॉर्ड किया जा सकता है, लेकिन इसे सार्वजनिक करना राष्ट्रहित में नहीं है। यह अतीत में कभी नहीं हुआ। वस्तुत: यहां तक कि इसके बारे में तो चर्चा तक नहीं होती। हमें इतना तो परिपक्व होना ही चाहिए ताकि देश यह सुनिश्चित करने में सक्षम हो कि वीडियो जारी करने के लिए सरकार या सेना पर किसी तरह का दबाव नहीं दिया जाना चाहिए।
उन्होंने उन लोगों पर सवाल उठाए, जो पाकिस्तान की बात सुनकर सबूत जारी करने पर जोर दे रहे हैं। उन्होंने कहा, हम किसके बारे में बातचीत कर रहे हैं? पाकिस्तान ने जो कहा क्या उस पर विश्वास करने का प्रयास किया जा रहा है? क्या हमें नहीं पता कि उन्होंने तो ओसामा बिन लादेन के भी पाकिस्तान में होने से भी इनकार किया था। कारगिल युद्ध के बारे में उन्होंने कहा कि उसमें कोई पाकिस्तानी सैनिक शामिल नहीं था, जबकि वे वास्तव में पाकिस्तानी के ही सैनिक थे।
सिंह ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक पर सेना का बयान निर्विवाद है। उस पर सवाल उठाया नहीं जा सकता। जम्मू एवं कश्मीर के उड़ी में सेना के ब्रिगेड मुख्यालय पर 18 सितम्बर को आतंकवादी हमले के बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादियों के लॉन्च पैड पर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था। उड़ी हमले में 17 जवान शहीद हो गए थे, जबकि दो और जवानों ने बाद में अस्पताल में दम तोड़ दिया। उधर, पाकिस्तान ने अपनी सरजमीं पर किसी भी तरह के सर्जिकल स्ट्राइक से इनकार किया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, कांग्रेस के संजय निरुपम सहित कुछ राजनीतिज्ञों ने कहा है कि सरकार को सर्जिकल स्ट्राइक का वीडियो जारी करना चाहिए।