राष्ट्रपति से मंजूरी के बाद भगोड़ों पर सख्त हो जाएगी कार्रवाई
इस विधेयक के लोकसभा से पास हो जाने के बाद और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के द्वारा मंजूरी मिल जाने के बाद भगोड़े आर्थिक अपराधियों पर लगाम लगेगी और वह कानूनी प्रक्रिया से नहीं बच सकेंगे। भगोड़े आर्थिक अपराधियों को भारत वापस लाने में इस विधेयक की अहम भूमिका होगा। भगोड़ा आर्थिक अपराधी वह व्यक्ति होता है जिसके खिलाफ 100 करोड़ रुपये या उससे अधिक मूल्य के चुनिंदा आर्थिक अपराधों में शामिल होने की वजह से गिरफ्तारी वॉरंट जारी किया गया हो और वह आपराधिक अभियोजन से बचने को देश से बाहर चला गया हो।
भगोड़ों को रोकेगा ये विधेयक
राष्ट्रपति से मंजूरी मिल जाने के बाद इस नए कानून के तहत विजय माल्या और नीरव मोदी दोनों पर ही सख्त कार्रवाई होगी और सबकुछ ठीक रहा तो बहुत जल्द ही दोनों को देश वापस लाया जा सकेगा। इतना ही नहीं विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे, बड़े आर्थिक अपराधों में शामिल लोगों को देश से भागने और कानून से बचने से भी रोका जा सकेगा।
लंबे समय से नीरव मोदी और माल्या की तलाश में है सीबीआई
आपको बता दें कि विजय माल्या हिंदुस्तान के बैंकों से करीब 9000 करोड़ रुपए का लोन लेकर फरार हो चुका है तो वहीं नीरव मोदी भी 13 हजार करोड़ रुपए के पीएनबी घोटाले का मुख्य अपराधी है और देश से बाहर है। दोनों ही देश छोड़कर जा चुके हैं और भारतीय सुरक्षा एजेंसिया काफी समय से दोनों की तलाश में हैं। दोनों के मामलों की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) कर रही है।
क्या-क्या है नए कानून में
इस नए कानून के तहत प्राधिकृत विशेष अदालत को किसी व्यक्ति को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने और उसकी बेनामी तथा अन्य संपत्तियों को जब्त करने का अधिकार होगा। यह कानून कहता है, ‘जब्ती आदेश की तारीख से जब्त की गई सभी संपत्तियों का अधिकार केंद्र सरकार के पास रहेग।’
जुलाई 2018 में लोकसभा और राज्यसभा से पास हुआ था विधेयक
आपको बता दें कि भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक को 19 जुलाई 2018 में लोकसभा से मंजूरी मिली थी। इसके बाद राज्यसभा में इस विधेयक को 25 जुलाई को सर्वसम्मति से पास किया गया। इस कानून के तहत न्यूनतम 100 करोड़ रुपये की सीमा को उचित ठहराते हुए वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने हाल में संसद में कहा था कि इसके पीछे मकसद बड़े अपराधियों को पकड़ना है। उन्होंने कहा था कि कानून के तहत प्रवर्तन निदेशालय जांच एजेंसी का काम करेगा।