संयुक्त राष्ट्र महासभा में 3 महीने की बच्ची को लेकर पहुंची न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री, हो रही है वाह-वाही हक्कानी वर्तमान में वॉशिंगटन के ह्यूडसन इंस्टीट्यूट में दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों के निदेशक हैं। अपने आलेख में उन्होंन कहा है कि ‘पाकिस्तानी नेतृत्व अमेरिकी सरकार से अलग तरह से आतंकवाद को परिभाषित करता है और ऐसी संभावना नहीं है कि वह सभी आतंकवादी संगठनों के विरुद्ध कार्रवाई करे ,जैसा कि अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ की मांग है।’
बता दें, पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी का वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए दो अक्तूबर को पोम्पिओ से मुलाकात का प्रोग्राम है। अमेरिकी विदेश मंत्री ने भारत यात्रा के दौरान 5 सितंबर को इस्लामाबाद में अपने स्टे के दौरान इसकी शुरुआत की थी। हक्कानी ने कहा है कि ‘अमेरिकी राजनयिकों ने पाकिस्तान में फैसले लेने वालों को चीजें अपने ढंग से देखने के लिए और अपने पाले में लाने की कोशिश में तकरीबन तीन दशक बिता दिए हैं।’
सोमालिया में सुरक्षाबलों को मिली बड़ी कामयाबी, अल शबाब के 35 आतंकवादी मारे गए जब बात नहीं बनने पर ही हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निर्देश पर अमेरिका ने इस साल की शुरुआत में पाकिस्तान को दी जा रही सुरक्षा सहायता पर रोक लगा दी थी। उन्होंने चेताया कि ट्रंप प्रशासन को आतंक के मुद्दे पर पाकिस्तान से बहुत कम सहयोग के लिए तैयार रहना होगा।
उन्होंने कहा कि पोम्पियो की संक्षिप्त यात्रा के सप्ताह भर में ही पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से संबद्ध संगठन जमात-उद-दावा और उसके चैरिटी संगठन फलाही इंसानियत फाउंडेशन पर पिछली सरकार की ओर से लगाई गई रोक को हटा दिया। दोनों ही संगठन हाफिज सईद से है, जिसे अमेरिका ने आतंकी घोषित किया हुआ है।
ब्रिटेन: सिख अॉफिसर पर लगा ड्रग्स लेने का आरोप, कोकिन टेस्ट का रिजल्ट आया पॉजिटिव हक्कानी ने आलेख में यह भी कहा है कि ये सारी बातें इस बात की ओर संकेत है कि सेना और न्यायपालिका का समर्थन प्राप्त पाकिस्तान की नई सरकार अमेरिका या संयुक्त राष्ट्र की ओर से आतंकी घोषित किए गए किसी भी संगठन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं करेगी।