गांधी जी की तरह तैयार होकर सड़कों पर लोगों से मांगते थे मदद
84 साल के गंगप्पा की कहानी बहुत ही दर्दनाक है। वो पिछले दो साल से आंध प्रदेश के अनंतपुर शहर में अलग-अलग स्थानों पर लोगों से मदद मांग कर अपनी आजीविका चला रहे थे। गंगप्पा ने लोगों के सामने खुद को गांधी की तरह प्रस्तुत किया था। इसके लिए वो अपने शरीर पर टैल्कम पाउडर लगाकर, चश्मा पहनकर और बिल्कुल गांधी जी की तरह धोती पहन, हाथ में छड़ी लिए सड़कों पर लोगों से मदद मांगते थे। करीब 70 साल तक कृषि मजदूर रहने के बाद गंगप्पा के पास अपनी आजीविका चलाने का एक यही विकल्प बचा था। उन्होंने 2016 में खेती करना छोड़ दिया था, क्योंकि उसके जरिए वो अपने परिवार का भरण-पोषण नहीं कर पा रहे थे। खेती छोड़ने के बाद उन्होंने गांधी अवतार में सड़कों पर लोगों से मदद मांगनी शुरू कर दी, जिसमें वो खेती से ज्यादा आमदनी करते थे।
अपनी जाति की वजह से करना पड़ा असुरक्षा का सामना
दो साल पहले मई 2017 में गंगप्पा की कहानी को PRI (पीपुल्स आर्काइव ऑफ रूरल इंडिया) ने प्रकाशित किया था। इसके बाद आज गंगप्पा एक बार फिर सुर्खियों में हैं क्योंकि आज वो इस दुनिया में नहीं रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, बीते 9 दिसंबर को रविवार के दिन गंगग्पा को हाईवे पर एक कार ने रौंद दिया, जिसके बाद अस्पताल में उनकी मौत हो गई। पीआरआई में छपी इनकी कहानी में बताया गया था कि कैसे एक किसान को अपने कृषि पेशे के साथ-साथ जाति को लेकर खतरे और असुरक्षा का सामना करना पड़ा है। गंगप्पा अपने गांधी अवतार को लेकर लोगों के बीच चर्चा का विषय थे। उन्होंने अभी तक जो कुछ भी अर्जीत किया है वो राशि कृषि श्रम से कही ज्यादा बेहतर है। गंगप्पा खुद गांधी जी का बहुत सम्मान करते थे।
बेंगलुरू-हैदराबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर कार ने रौंदा
पीआरआई की रिपोर्ट के मुताबिक, गंगप्पा ने दावा किया था कि वो बचपन में गांधी जी से मिले थे और तभी उन्होंने उनके जैसा कपड़े पहनने की इच्छा जताई थी। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि गंगप्पा अपनी जाति (दलित) को लोगों से छुपा कर रखते थे, जिसकी वजह से उन्हें अनंतपुर में एक मंदिर में सोने दिया जाता था। बीते 9 दिसंबर को वो बेंगलुरू-हैदराबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक दर्दनाक हादसे का शिकार हो गए, जिसमें उनकी मौत हो गई।