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नए साल की शुरुआत में ही चक्रवाती तूफान ‘पाबुक’ का खतरा, यहां मचा सकता है तबाही

locationनई दिल्लीPublished: Jan 04, 2019 10:47:58 am

नए साल की शुरुआत में ही चक्रवाती तूफान ‘पाबुक’ का खतरा, यहां मचा सकता है तबाही

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नए साल की शुरुआत में ही चक्रवाती तूफान ‘पाबुक’ का खतरा, यहां मचा सकता है तबाही

नई दिल्ली। साल की शुरुआत में ही देश में बड़े तूफानी चक्रवात का खतरा मंडरा रहा है। हाल में केरल समेत दक्षिण भारत में कई तूफानों ने तबाही मचाई है। फिर चाहे वो तितली हो या फिर डाई इन तूफानों ने न केवल कई लोगों की मौत हुई बल्कि लाखों लोग प्रभावित भी हुए। अब नए साल की दस्तक के साथ ही एक और बड़े चक्रवाती तूफान पाबुक का खतरा मंडरा रहा है। दरअसल दक्षिण चीन में चक्रवाती तूफान के चलते ओडिशा में पाबुक चक्रवात का खतरा मंडरा रहा है। जिसके चलते प्रदेश सरकार ने सात जिलों में हाई अलर्ट जारी किया है।

चक्रवाती तूफान की आशंका के चलते प्रदेश सरकार पहले से ही सतर्क हो गई है। राजस्व, आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से गुरुवार को एक एडवायजरी जारी की गई है, इसमे कहा गया है कि चक्रवात पाबुक जनवरी के पहले सप्ताह में दस्तक दे सकता है जोकि पूर्व, दक्षिण पूर्व पोर्ट ब्लेयर से तकरीबन 1500 किलोमीटर दूर है।
6 को ओडिशा से टकराने की संभावना
ऐसे में इस बात की संभावना है कि यह चक्रवात 6 जनवरी की शाम को अंडमान द्वीप को पार करके ओडिशा की ओर आ सकता है। यहां से होता हुआ यह चक्रवात 7-8 जनवरी को म्यामार की ओर जा सकता है जहां यह कमजोर पड़ जाएगा। प्रदेश के जिन सात जिलों में अलर्ट जारी किया गया है, वहां के डीएम को स्पेशल रिलीफ कमिश्नर ने निर्देश दिया है कि वह सतर्क रहे और स्थिति पर नजर बनाए रखें।
इन सात जिलों में अलर्ट
यह अलर्ट बालासोर, भदरक, जगतसिंगपुर, केंद्रपारा, पुरी, गंजम और खुर्दा में जारी किया गया है। हालांकि इस चक्रवात को लेकर कोई निश्चित चेतावनी मछुआरों को अभी तक नहीं जारी की गई है। लेकिन मौसम विभाग ने मछुआरों को गहरे समुद्र में नहीं जाने का सुझाव दिया है। खास बात यह है कि इससे पहले तितली तूफान ने राज्य में काफी तबाही मचाई थी।
पिछले वर्ष अक्टूबर माह में तितली तूफान की वजह से ओडिशा में काफी नुकसान हुआ था, हजारों घर उजड़ गए थे, जबकि 65 लोगों की इस तूफान में जान चली गई थी। इसके बाद चक्रवात गाजा के डर से भी प्रदेश में अलर्ट जारी किया गया था हालांकि यह काफी ज्यादा खतरनाक नहीं था, जिसकी वजह से बड़ा खतरा टल गया था।

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