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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यह प्रतिमा सैकड़ों साल पुरानी है। झील में स्थानीय लोग खुदाई कर रहे थे। तभी अचानक खुदाई के दौरान नंदी बैल की प्रतिमा दिखने लगी। जिसके बाद इन प्रतिमाओं को स्थानीय लोगों ने झील से निकाला।
सोशल मीडिया के मुताबिक, मैसूर से करीब 20 किलोमीटर दूर अरासिनाकेरे गांव में यह प्रतीमा पाई गई है। गांव के कुछ बुजुर्ग झील में नंदी की मूर्ति होने की बात किया करते थे। बुजुर्गों का कहाना था कि जब झील में पानी कम होता है तो नंदी का सिर नजर आता है।
इन बातों की सच्चाई जानने के लिए गांव के कुछ लोगों ने झील में पानी कम होने के बाद खुदाई करने का मन बनाया। उन्होंने खुदाई करनी शुरू की।
स्थानीय ख़बरों के मुताबिक चार से पांच दिन लगातार झील में खुदाई की गई। खुदाई के लिए जेसीबी मशीन की मदद भी ली गई। खुदाई के चार दिन बाद नंदी बैल की दो प्रतिमाएं निकल ( Nandi Statues Found in Lake ) आई। इसके बाद यह ख़बर जंगल में आग की तरह फैल गई। सोशल मीडिया में नंदी बैल की तस्वीरों को जमकर शेयर किया जा रहा है।
सोशल मीडिया पर प्रतिमा को लेकर दावा किया जा रहा है कि ये 16वीं और 17वीं शताब्दी की है। वहीं, सावन के महीने में इस प्रतिमा ( Nandi Statues Found in Lake ) के मिलने पर लोग इसे भगवान भोलेनाथ का चमत्कार मान रहे हैं। हालांकि प्रतिमा के मिलने की सूचना मिलते ही पुरातत्व विभाग के कर्मचारी मौके पर पहुंच गए और उसे अपने कब्जे में ले लिया है।