मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पुलिस की एक टीम शनिवार तड़के अपने रिश्तेदारों व समर्थकों के साथ भूख हड़ताल पर बैठीं तीन में से दो लड़िकयों -निकिता जाधव (20) और पूनम जाधव (19) को उठाकर अहमदनगर सिविल अस्पताल ले गई।
इस दौरान ही पुलिस ने शामियाने, बैनर और पोस्टरों को उखाड़ फेंका। इसके पीछे स्थानीय अधिकारियों का तर्क था कि वे अवैध रूप से लगाए गए थे। प्रदर्शन में शामिल इन लड़कियों के रिश्तेदारों व समर्थकों को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया, जबकि वहां मौजूद तमाशबीनों को खदेड़ दिया।
पुलिस की इस कार्रवाई से गुस्साए पुंताम्बा ग्रामीणों ने बंद आयोजित किया और 19 वर्षीय शुभांगी जाधव सहित शुक्रवार को अस्पताल ले जाई गईं लड़कियों को तुरंत रिहा करने की मांग की। गांव में बीते तीन दिनों के दौरान यह दूसरा बंद है।
गौरतलब है कि रालेगण सिद्धि में सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे की सप्ताह भर चली भूख हड़ताल के बाद इन तीन लड़कियों की भूख हड़ताल को कई किसान समूहों, सत्तारूढ़ सहयोगी शिवसेना और विपक्षी कांग्रेस व अन्य दलों का समर्थन मिला हुआ था।
निकिता, शुभांगी और पूनम के साथ-साथ उनके कॉलेज के साथियों व दोस्तों ने सभी कृषि ऋण माफ करने, कृषि उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य, 60 वर्ष से अधिक आयु के सभी किसानों के लिए पेंशन और कृषि उद्देश्यों के लिए मुफ्त बिजली सहित किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर 4 फरवरी से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की थी।
इसके बाद 6 फरवरी को पुंताम्बा गांव में स्कूली छात्राओं और ग्रामीणों ने काले झंडे के साथ जुलूस निकाला था, जिसमें पड़ोसी गांवों के लोगों की भागीदारी देखने को मिली थी। बताया जा रहा है कि लड़कियों को कथित रूप से उनकी मर्जी के खिलाफ आईसीयू में रखा गया है, लेकिन उन्होंने अपना आंदोलन जारी रखा हुआ है।