scriptएम नागेश्वर राव की CBI में नियुक्ति को इन 6 बड़े कारणों से दी गई सुप्रीम कोर्ट में चुनौती | M Nageswar Rao posting challenged Interim cbi chief this 6 reason | Patrika News

एम नागेश्वर राव की CBI में नियुक्ति को इन 6 बड़े कारणों से दी गई सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

locationनई दिल्लीPublished: Jan 15, 2019 07:50:45 am

Submitted by:

Chandra Prakash

इन बिंदुओं से समझिए कि एम नागेश्वर राव की सीबीआई के अंतरिम निदेशक पर नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में क्यों चुनौती दी गई है।

Nageswara Rao

एम नागेश्वर राव की CBI में नियुक्ति को इन 6 बड़े कारणों से दी गई सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

नई दिल्ली। एम नागेश्वर राव की सीबीआई के अंतरिम निदेशक के रूप में नियुक्ति का विरोध हो रहा है। एनजीओ कॉमन कॉज की तरफ से वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर की है। जिसमें 10 जनवरी वाले आदेश को रद्द करने की मांग की है। जिसमें कहा गया है कि यह गैरकानूनी, मनमाना, बदनीयती से और दिल्ली पुलिस विशेष प्रतिष्ठान (डीपीएसई) अधिनियम और आलोक वर्मा मामले में शीर्ष अदालत के फैसले का उल्लंघन है।

अब भूषण के छह तर्कों से समझिए कि आखिरकार एम नागेश्वर राव की सीबीआई के अंतरिम निदेशक पर पर नियुक्ति क्यों अवैध है।

# एनजीओ ने तर्क दिया कि सीबीआई निदेशक की नियुक्ति के लिए उच्चस्तरीय चयन समिति को केंद्र सरकार द्वारा पूर्ण रूप से किनारे कर 10 जनवरी को राव की अंतरिम निदेशक के रूप में नियुक्ति कर दी गई, जो कि मनमाना और उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है।

# नागेश्वर राव की अंतरिम सीबीआई निदेशक के रूप में नियुक्ति उच्चस्तरीय चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर नहीं हुई है। 10 जनवरी, 2019 की तारीख वाले आदेश में कहा गया है कि कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने पहले की व्यवस्थाओं के अनुसार नागेश्वर राव की नियुक्ति को मंजूरी दी है।

# संगठन ने कहा है कि राव को अंतरिम निदेशक बनाने वाले 23 अक्टूबर, 2018 के पहले के आदेश को इस अदालत द्वारा आठ जनवरी, 2019 को रद्द कर दिया गया था, क्योंकि इसने डीपीएसई अधिनियम में परिभाषित सीबीआई निदेशक की नियुक्ति की प्रक्रिया का उल्लंघन किया था।

# सरकार ने अभी भी अपने पहले वाले आदेश को लागू किया हुआ है, जिससे राव को फिर से सीबीआई का अंतरिम निदेशक बना दिया गया है, जबकि वह आदेश रद्द कर दिया गया था। संगठन ने कहा कि सरकार नियुक्ति के लिए सक्षम प्राधिकारी नहीं है और न ही उसके पास इसकी शक्तियां हैं।

# उच्चस्तरीय समिति पर्याप्त रूप से संतुलित है और उसके पास सीबीआई निदेशक की कार्यात्मक स्वायत्तता की रक्षा के लिए भी प्रावधान मौजूद हैं। याचिका के मुताबिक, सीबीआई निदेशक की नियुक्ति में पारदर्शिता की कमी है, जो सरकार को नियुक्ति प्रक्रिया में ‘अनुचित प्रभाव’ का इस्तेमाल करने की अनुमति देता है, विशेषकर उम्मीदवारों के चयन वाले चरण में।

# नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी सार्थक सार्वजनिक जांच को रोकती है और सरकार को नियुक्ति प्रक्रिया में ‘अनुचित प्रभाव’ का इस्तेमाल करने की अनुमति देती है, विशेषकर उम्मीदवारों के चयन वाले चरण में।

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