इससे पहले टीपू जयंती मनाए जाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे कई समूहों ने श्री ओमकारा मंदिर में प्रार्थना की। इसके बाद वे टीपू जयंती का उत्सव मनाए जाने के खिलाफ एक जुलूस में शामिल हुए।
वहीं इस मुद्दे पर हो रहे विरोध को देखते हुए प्रशासन भी सतर्क हैं। सुरक्षा के पुख्ता इतंजाम किए हैं। हुबली और धारावाड़ के कई इलाकों में प्रशासन ने धारा 144 लागू है। अर्थात अब एक साथ एक जगह पर चार से अधिक लोग इक्ट्ठा नहीं हो पाएंगे। प्रशासन ने कहा है कि 10 नवंबर को सुबह 6 बजे से लेकर 11 नवंबर सुबह 7 बजे तक हुबली और धारावाड़ के कई शहरों में धारा 144 लागू रहेगा। बता दें कि मेडीकेरी में भाजपा और कोडाव राष्ट्रीय परिषद समेत विभिन्न संगठनों ने बंद बुलाया है।
सियासत जारी टीपू सुल्तान की जयंती मनाने को लेकर राजनीति भी हो रही है। भाजपा ने एक बार फिर से राज्य सरकार पर हमला बोला है। बीजेपी जिला सचिव सज्जल कृष्ण्ण का कहना है कि टीपू जंयती के नाम पर सरकार जनता का पैसा बर्बाद कर रही है। टीपू कोई योद्धा नहीं थे, उन्होंने कई हिंदुओं को मारा और मंदिरों पर आक्रमण किया। ऐसे व्यक्ति को हम महान क्यों बता रहे हैं? यह केवल वोट बैंक की राजनीति है। कोडागु में सभी इसके विरोध में हैं। इससे पहले केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े ने कहा है कि एक अत्याचारी के जन्मदिन को मनाए जाने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि टीपू सुल्तान हिंदू विरोधी थे। तो वहीं कांग्रेस और कर्नाटक सरकार ने कहा है कि भाजपा के विरोध के बावजूद भी 18वीं सदी के मैसूर के शासक टीपू सुल्तान की जयंती अपने तय कार्यक्रम के मुताबिक मनाया जाएगा। बता दें कि मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने पिछले सप्ताह कहा था कि पिछली कांग्रेस सरकार की नीति को बरकरार रखते हुए 10 नवम्बर को ‘टीपू जयंती’ मनाई जाएगी। इसके बाद ही भाजपा ने विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की थी।
सीएम कुमारस्वामी जंयती कार्यक्रम में शामिल नहीं हो रहे
टीपू सुल्तान की जयंती के इस कार्यक्रम में कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी शामिल नहीं हो रहे हैं। इसके पीछे का कारण बताया गया है कि खराब सेहत की वजह से वह इस कार्यक्रम में भाग नहीं ले पाएंगे। साथ ही डॉक्टर ने उन्हें तीन दिन के लिए (11 नवंबर तक) आराम करने की सलाह दी है। कुमारस्वामी के समारोह में भाग नहीं लेने को लेकर राजनीतिक गलियारों में कई तरह की चर्चाएं हैं। हालांकि, कांग्रेस और जद-एस के नेताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री ने समारोह में शामिल नहीं हो पाने के बारे में पहले ही सूचित कर दिया था और दोनों दलों में टीपू जयंती के आयोजन को लेकर कोई मतभेद नहीं है।
हाईकोर्ट में 9 फीसदी महिला जज, 68 साल में सिर्फ 8 महिला जजों की हुई नियुक्ति वहीं जानकारों का कहना है कि कुमारस्वामी ने पहले समारोह में शामिल होने का फैसला किया था लेकिन बाद में राजनीतिक कारणों से उन्हें अपना फैसला बदलना पड़ा। कुमारस्वामी जब 2014 में टीपू जयंती के खिलाफ कोडुगू में प्रदर्शन के दौरान मारे गए लोगों के परिजनों को सांत्वना देने पहुंचे थे तो जद-एस के सत्ता में आने पर इस आयोजन को बंद करने का आश्वासन दिया गया था। बताया जाता है कि वोक्कालिगा समुदाय, जिससे कुमारस्वामी आते हैं वह सरकारी स्तर पर टीपू सुल्तान की जयंती के आयोजन के खिलाफ है। इसी कारण कुमारस्वामी ने अंतिम क्षणों में कार्यक्रम से दूर रहने का निर्णय लिया। दूसरा कारण, टीपू सुल्तान से जुड़ा मिथक भी बताया जा रहा है। चर्चा है कि टीपू के महिमामंडन का प्रयास करने वाले लोगों के मुश्किल में घिरने के मिथक के कारण भी कुमारस्वामी और उनका परिवार इस आयोजन से दूर रहना चाहता है।