1981 में अपने ऐतिहासिक वसीयत में इंदिरा गांधी ने यह भी लिखा है कि 1947 में हमारे पास जितनी संपत्ति थी, आज उससे कम है। बता दें कि इस बीच उन्होंने जवाहर लाल नेहरू स्मारक ट्रस्ट को आनंद भवन दान कर दिया था। वसीयत के अनुसार महरौली के नजदीक वाला निजी फार्म हाउस राहुल और प्रियंका के नाम उन्होंने कर दिया था। इसमें दोनों की हिस्सेदारी बराबर की थी। उन्होंने पुस्तकों की कॉपीराइट भी तीन हिस्सों में बांट दिए। तीनों बच्चों के नाम यानी प्रियंका, राहुल और वरुण के नाम।
वसीयत में इंदिरा गांधी ने लिखा था कि मैं यह देख कर खुश हूं कि राजीव और सोनिया, वरुण को उतना ही प्यार करते हैं जितना अपने खुद के बच्चों को. मुझे पक्का भरोसा है कि जहां तक संभव होगा, वो हर तरह से वरुण के हितों की रक्षा करेंगे। यह बात पूर्व प्रधानमंत्री ने अपनी वसीयत में दर्ज की है। यह वसीयत 4 मई, 1981 को लिखी गई थी। उसके गवाह थे एमवी राजन और माखन लाल।
अपनी वसीयत में इंदिरा गांधी ने यह भी लिखा है कि संजय गांधी की जायदाद में मेरा जो शेयर है उसके बारे में मेरी इच्छा है कि वह वरुण को मिले। इन बच्चों के बालिग होने तक यह संपत्ति ट्रस्ट के पास रहे जिसके प्रबंधक राजीव और सोनिया रहें। इंदिरा गांधी की वसीयत में अन्य परिजन की चर्चा मौजूद है सिवा मेनका गांधी के। वरुण का तो उन्होंने पूरा ध्यान रखा, पर अपने छोटे पुत्र संजय की विधवा के लिए उनके पास देने को कुछ नहीं था। संजय के निधन के बाद मेनका का संबंध इंदिरा गांधी से बहुत ही खराब हो गया था।