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INDIA RECAP 2018: इस साल इन महिलाओं की रही चर्चा, साहसिक कारनामों से बटोरीं सुर्खियां

locationनई दिल्लीPublished: Dec 27, 2018 10:50:30 am

Submitted by:

Saif Ur Rehman

इन महिलाओं ने 2018 में अपने क्षेत्र में पहली बार दम भरते हुए इतिहास रचा।

INDIAN WOMEN IN 2018

INDIA RECAP 2018: इस साल इन महिलाओं की रही चर्चा, साहसिक कारनामों से बटोरीं सुर्खियां

नई दिल्ली। भारत हर क्षेत्र में अपना कद बड़ा करने के लिए प्रयासरत है। भारत की प्रगति में महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। कई ऐसी भी महिलाएं हैं जो देश की सुरक्षा में अपना दम भर रही हैं। इस वर्ष ऐसी महिलाएं सामने आईं जिन्होंने अपने हौंसले की उड़ान से अपने क्षेत्र में नई इबारत लिखी। इस साल भारतीय सेना में कई महिलाओं के रूप में देश को नायाब हीरे मिले, उनकी उपब्लधियां भविष्य में आधी आबादी को प्रेरित करती रहेंगी। आइए जानते हैं इस साल किन महिलाओं ने अपने अदम्य साहस से सुर्खियां बटोरीं
अवनी और भावना ने भरी उड़ान

2016 में देश को तीन जांबाज महिला ऑफिसर मिलीं, जिनका नाम है अवनी चतुर्वेदी, भावना कांत और मोहना सिंह। ये तीनों देश की पहली महिला फाइटर हैं। इस साल भारतीय वायु सेना की फ्लाइंग ऑफिसर अवनी चतुर्वेदी ने अकेले मिग-21 लड़ाकू विमान उड़ाकर इतिहास रच दिया। 19 फरवरी की सुबह अवनी ने गुजरात के जामनगर एयरबेस से उड़ान भरी और सफलतापूर्वक अपना मिशन पूरा किया। वह अकेले फाइटर एयरकाफ्ट उड़ाने वाली भारत की पहली महिला बन गई। उनके बाद भावना अकेले फाइटर प्लेन उड़ाने वाली दूसरी महिला पायलट बनींं। अप्रैल में शुरू हुए अभ्यास ‘गगन शक्ति’ में भी तीनों महिला पायलटों ने अपना दम दिखाया। बता दें कि 2015 में भारत सरकार ने महिलाऔं को फाइटर पायलट बनने के लिए अनुमति दी थी।
INS
पहली महिला कोबरा कमांडो

निडर, बेखौफ, हिम्मती उषा किरण को देश की पहली महिला कोबरा कमांडो है। वह CRPF की पहली महिला अफसर हैं। गुरुग्राम की रहने वाली उषा ने साल 2013 में सीआरपीएफ की परीक्षा में देश में 295वां रैंक हासिल किया थी। 25 वर्षीय उषा गुरिल्ला टैक्टिक और जंगल वार में माहिर मानी जाती हैं और यही कारण है कि उन्हें नक्सल प्रभावित इलाका बस्तर की दरभा घाटी में तैनाती दी गई थी।
USHA
देश को मिली पहली महिला SWAT टीम

इस वर्ष अगस्त माह में भारत को पहली महिला SWAT (Special Weapons And Tactics) टीम मिली। इस टीम की सभी 36 महिलाएं पूर्वोत्तर से हैं और इनके कंधों पर दिल्ली की सुरक्षा का जिम्मा है। देश-विदेश के एक्सपर्ट्स ने 15 महीने की कड़ी ट्रेनिंग के बाद इन्हें तैयार किया। इनमें से ज्यादातर को ऐंटि-टैरर वैन ‘पराक्रम’ में तैनात किया गया। स्वैट कमांडो ट्रेनिंग बेहद कठिन होती है। यह फोर्स किसी भी स्थिति में दुश्मन का खात्मा करने की ताकत रखती है। बता दें कि 2008 में हुए मुंबई हमले के बाद भारत में स्वैट टीम बनाने की जरूरत महसूस हुई थी, जिसके बाद दिल्ली पुलिस को यह काम सौंपा गया।। स्वैट टीम ने पंद्रह अगस्त पर पीएम मोदी की सुरक्षा भी की।
SWAT
शहीद पति का किया सपना पूरा
इस साल शहीद राइफलमैन की पत्नी नीरु संब्याल ने भी करोड़ों महिलाओं प्रेरित किया। नीरु भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनीं। एक ही बार में परीक्षा देकर वह आर्मी में शामिल हुईं। 2 मई 2015 को उन्‍होंने अपने पति सैनिक रविंद्र सिंह संब्याल को खो दिया था। जिसके बाद उन्हें उनकी बेटी से प्रेरमआ मिली। आर्मी में शामिल होने के बाद नीरू ने कहा था कि मैं अपने पति के मौत के बाद काफी दुखी हो गई थी. मगर मेरी बेटी मेरी प्रेरणा थी. इसलिए मैंने आर्मी में शामिल होने का फैसला किया और आज मैं एक लेफ्टिनेंट हूं।
NIRU
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