दिव्यांग होने के बाद भी परिवार को पाल रहे हैं हरदयाल
हिमाचल प्रदेश के ऊना के लालसिंगी में रहने वाले हरदयाल सिंह टैंपों चलाकर अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं। हैरानी वाली बात ये है कि एक पैर और हाथ का अंगूठा नहीं होने के बाद भी हरदयाल के जज्बे में किसी तरह की कोई कमी नहीं आई है। बीमारी के इलाज में उनका सारा पैसा लग गया, लेकिन आज तक न कभी स्थानीय विधायक या सरकार से नौकरी मांगी और न ही पैसे के लिए किसी रिश्तेदार के आगे हाथ फैलाए। ये उनकी खुदगर्जी है जो इतने परेशानी के बाद भी किसी के आगे मदद का हाथ नहीं फैलाया। हालांकि हरदयाल को टैंपों जरूर उसके दोस्त ने तोहफे में दिया, जिसको चलाकर वो अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं।
आखिर कैसे चला पाते हैं टैंपों
बीपीएल कार्ड धारक हरदयाल को एक साल तक घर में बेकार बैठने के बाद दोस्त ने उपहार में एक ऑटो (छोटा टेंपो) दिया। बैसाखी के सहारे चलने वाले हरदयाल जुगाड़ सिस्टम से अब टेंपो का क्लच हाथ से दबाते हैं और शानदार तरीके से टेंपो चलाकर अपना और परिवार का पेट पाल रहे हैं। हरदयाल का कहना है कि अगर मन में काम करने की लगन हो तो दिव्यांगता भी आपके आड़े नहीं आती है। अगर किसी को जरूरत पड़े तो वह मदद भी करते हैं।
बीमारी की वजह से काटने पड़ा पैर और अंगूठा
लालसिंगी निवासी हरदयाल ने बताया कि वह पहले ट्रक चलाते थे। उनका पैर सुन्न रहने लगा तो डॉक्टरों को दिखाया। डॉक्टरों ने उनकी बायीं टांग और हाथ का एक अंगूठा काट दिया। वह परिवार में कमाने वाले इकलौते थे। दोस्त ने मदद की तो दो बेटियों, एक बेटे और पत्नी के साथ सम्मान की जिंदगी जी रहे हैं। अब वह किसी चीज के लिए दूसरों के मोहताज नहीं हैं। वो बताते हैं कि मुश्किल घड़ी में पत्नी ने उनका पूरा साथ दिया और कभी महसूस ही नहीं होने दिया कि वह दिव्यांग हैं।
परिवहन विभाग डाल रहा है अड़चन
इस स्थिति के बारे में हरदयाल का कहना है कि दिव्यांगता के चलते परिवहन विभाग में उसका लाइसेंस रिन्यू नहीं हो रहा है। इससे अब उनकी रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया है। उन्होंने बताया कि वह किसी भी विपरीत स्थिति में टैंपो चलाने में सक्षम हैं। विभाग उनका चालक का परीक्षण ले सकता है। आज तक दिव्यांगता के चलते उनसे कभी कोई हादसा नहीं हुआ।