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किस वजह से पहुंचे पाकिस्तान
मृतक मछुआरे का नाम नानुभाई कानाभाई सोलंकी था, जो गुजरात के उना के रहने वाले थे। उनकी रिहाई को लेकर पिछले एक साल से जद्दोजहद जारी थी। नानुभाई के परिवार वाले पिछले एक साल से उनके घर आने की राह तक रहे थे, लेकिन जब उनका शरीर घर आया तो वहां मातम पसर गया। किसी ने भी यह नहीं सोचा था कि पाकिस्तान से नानुभाई नहीं बल्कि उनका शव भारत लौटेगा। वहीं, नानुभाई की मौत से घर ही नहीं पूरा गांव गमगीन है। गांव के सरपंच ने कहा कि पूरा गांव नानुभाई के निधन पर शोक में है। पाकिस्तान को हमारे मछुआरों के साथ ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि भविष्य में पाकिस्तान हमारे लोगों की भावनाओं को समझेगा।
मौत पर सवाल
पाकिस्तान की कराची जेल में बंद नानुभाई की मौत को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। घर वालों सहित देश के लिए भी यह पहेली बनी हुई है कि आखिर उनकी मौत कैसे हुई या फिर उन्हें जानबूझकर मारा गया है। बता दें कि 45 वर्षीय नानुभाई की मौत 20 सितंबर को पाकिस्तानी की कराची जेल में हुई थी। उनका शव दो महीनों तक कराची के ईद्ही फाउंडेशन के मुर्दाघर में रखा हुआ था। शनिवार को दो महीने बाद घर वालों को उनका शव सौंपा गया।
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460 भारतीय मछुआरे पाक जेल में बंद
गौरतलब है कि 460 मछुआरे पाक जेल में कई सालों से बंद है। इस साल 13 अगस्त को भारत ने पाकिस्तान के सात कैदियों को रिहा कर वापस भेज दिया था। वहीं, पाकिस्तान ने भी अपने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 29 भारतीय कैदियों को रिहा कर दिया था। पाकिस्तान इंडिया पीपुल्स फोरम फॉर पीस एंड डेमोक्रेसी के कार्यकर्ता जतिन देसाई की माने तो 460 भारतीय मछुआरे पिछले कई सालों से पाकिस्तान की जेल में बंद है। वहीं, भारतीय जेलों में 90 पाकिस्तानी मछुआरे कैद हैं।