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सामान्य वर्ग को आरक्षण देने का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, संविधान संशोधन रद्द करने की मांग

locationनई दिल्लीPublished: Jan 10, 2019 06:11:02 pm

Submitted by:

Chandra Prakash

देश में आर्थिक आधार पर पहली बार आरक्षण की पहल हुई। सरकार ने सामान्य वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण के बिल को संसद से पास करा लिया लेकिन अब इस मामले में बड़ी मुश्किल आती दिख रही है।

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सामान्य वर्ग को आरक्षण देने का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, संविधान संशोधन रद्द करने की मांग

नई दिल्ली। सामान्य जातियों में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को नौकरियों और उच्च शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण दिए जाने का मामला अब देश की सबसे बड़ी अदालत में पहुंच चुका है। एक एनजीओ ने संशोधित बिल को असंवैधानिक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। जनहित याचिका में कहा गया है कि ये संशोधन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है और आर्थिक आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता।

संविधान के खिलाफ आरक्षण देने की कोशिश

यूथ फॉर इक्वालिटी (youth for equality) नाम के एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरकार के इस मास्टरस्ट्रोक को चुनौती दी है। एनजीओ की याचिका में कहा गया है कि जब खुद सुप्रीम कोर्ट ये तय कर चुका है कि देश में आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकती है। तो ऐसे में संविधान संशोधन के जरिए इसे 60 फीसदी करना संविधान का उल्लघंन है। कोर्ट से अपील की गई है कि इस बिल को गैर संवैधानिक घोषित किया जाए। याचिका में ये भी कहा गया है कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सरकार ने ये फैसला वोट बैंक को ध्यान में रखकर किया है।

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दोनों सदनों से पास हो चुका है आरक्षण बिल

बुधवार की रात करीब 10 बजे राज्यसभा में सामान्य वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण से जुड़ा संविधान संशोधन बिल पास हो गया। इसके पक्ष में 165 और विरोध में 7 वोट पड़े। विपक्ष इस बिल का सर्मथन करते हुए सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने की मांग कर रहा था लेकिन वोटिंग में यह प्रस्ताव खारिज हो गया। इससे पहले मंगलवार की रात भी करीब 10 बजे ही लोकसभा में इस बिल पर वोटिंग हुई थी। दोनों सदनों में पास होने के बाद अब इस बिल को राज्य की विधानसभाओं में पास कराने के बाद राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। जहां से मुहर लगते देश में सामान्य वर्ग को आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण का लाभ मिलने लगेगा।

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