आपको बता दें कि प्रणब दा पब्लिशर एंड बुक सेलर गिल्ड की ओर से आयोजित तीन दिवसीय कोलकाता साहित्य महोत्सव के उद्घाटन के बाद लोगों को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान बतौर मुख्य अतिथि कवि शंख घोष और विशिष्ट अतिथि के रूप में साहित्यकार समरेश मजूमदार मौजूद रहे। कार्यक्रम में देश के जाने-माने साहित्यकार भी शामिल हुए।
अपने संबोधन में प्रणब दा का दुख छलक उठा। उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले ही मैं 84 साल का हुआ हूं। लेकिन, मैं अब भी स्वस्थ हूं। राष्ट्रपति पद से मुक्त होने के बाद पिछले डे़ढ साल में मैं देश के विभिन्न हिस्सों में लगभग दो लाख 63 हजार किलोमीटर की यात्रा कर चुका हूं।
विदेश के नाम पर सिर्फ बांग्लादेश गया
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि खास बात यह रही कि अपनी यात्रा के दौरान मैं विदेश के नाम पर सिर्फ बांग्लादेश गया। यहां के चटगांव में मेरी एक यात्रा रही। इस यात्रा के दौरान मैंने मैंने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की ओर से लिखे एक लेख को प़़ढा और पाया कि हम दोनों के दुख में कोई खास फर्क नहीं था। बचपन के दिन और विश्वविद्यालय की यादें आज भी तरोताजा हैं।
बांग्लादेशी प्रधानमंत्री के जरिये उन्होंने अपने पलों को याद करते हुए कहा कि अगर सरकारी काम में न फंसता तो मुझे याद है कि मैं भी ऐसे पुस्तक मेलों का हिस्सा हुआ करता था। एक आम पाठक की तरह ही मैं भी पुस्तक मेले में आया करता था।