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निर्भया कांड: दुनिया का पहला ऐसा केस जिसमें बयान इशारों से दर्ज हुए, दांतों की साइंस ने दोषियों को दिलाई सजा

locationनई दिल्लीPublished: Dec 17, 2018 04:12:07 pm

Submitted by:

Saif Ur Rehman

निर्भया केस में फॉरेंसिक डेंटिस्ट्री (Forensic dentistry) की मदद ली गई। डॉ. असित आचार्य ने निर्भया के शरीर पर दांत काटने के निशानों और आरोपी के दांतों का अध्ययन कर 5 दिन में पुलिस को अपनी रिपोर्ट सौंपी।

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नई दिल्ली। किसी भी केस में अपराधियों को सजा दिलाने में पुलिस की जांच और सबूत अहम होते है। पुख्ता सबूत ही अपराधियों को सजा दिलाते हैं। ऐसा ही निर्भया कांड में हुआ था। देश को झकझोर देने वाले इस केस में अनोखा सबूत मिला था फॉरेंसिक डेंटिस्ट्री (Forensic dentistry) से। जघन्य अपराध में आरोपियों को पकड़वाने के लिए इस साइंस की सहायता ली गई थी। निर्भया कांड के बाद भारत में फॉरेंसिक साइंस के बारे में लोग जानने लगे। बता दें कि निर्भया केस विश्व का पहला ऐसा मामला माना जाता है, जिसमें बयान लफ्जों की बजाए इशारों से दर्ज किए गए। निर्भया केस के आईओ ( इंवेस्टिगेशन ऑफिसर) इंस्पेक्टर अनिल शर्मा थे। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कई खुलासे किए हैं। वहीं डॉ. असित आचार्य ने पत्रिका से बातचीत में इस मामले के बारे में बता की।
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फॉरेंसिक डेंटिस्ट्री से मिले पुख्ता सबूत
इस केस के बाद रात में बंद कमरे में 5 घंटे तक केस के बारे में बैठक हुई। इस मीटिंग में यह फैसला हुआ कि केस में ऐसे सबूत लाने हैं जो आगे चलकर मिसाल बनें। केस के जांच अधिकारी इंस्पेक्टर अनिल शर्मा ने सबूत जुटाने शुरू किए। उन्होंने रात में ही दुनियाभर के क्राइम केसों की 300 से ज्यादा वेबसाइट्स देख डालीं। इस दौरान उन्हें फॉरेंसिक डेंटिस्ट्री (Forensic dentistry) का पता चला। इस साइंस के माध्यम से केस को सुलझाने की सोची, क्योंकि निर्भया के शरीर पर दांत से काटने के कई निशान थे। ऐसा इसलिए क्योंकि दो इंसानों के दांतों का पैटर्न एक जैसा नहीं होता। कर्नाटक के धारवाड़ के वैज्ञानिक और धारवाड़ में फॉरेंसिक ऑडोंटॉलजी के हेड डॉ. असित आचार्य ने इस केस में अहम भूमिका अदा की। पुलिस ने डॉ. आचार्य से संपर्क साधा।
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डॉ. आचार्य ने पांच दिन में सौंपी रिपोर्ट

डॉ. आचार्य ने पत्रिका (Patrika) से खास बातचीत में बताया कि कैसे उन्होंने केस को सुलझाने में मदद की और फॉरेंसिक डेंटिस्ट्री होती क्या है। यहां आप को बता दें कि फॉरेंसिक डेंटिस्ट्री को हिंदी में न्यायालियिक दंतचिकित्सा (Forensic dentistry) कहते हैं। इससे दांतों की जांच पड़ताल, दांत के काटने का अध्ययन और तुलना कर किसी नतीजे पर पहुंचा जाता है। इस सांइस से तब मदद मिलती है जब किसी भी पीड़ित के शरीर पर केवल दांत के निशान मिलते हैं। उस समय यह पता करना बेहद जरूरी हो जाता है की यह निशान किसके द्वारा बनाए गए है। किसी के शव की शिनाख्त में भी मदद मिलती है।
DR asitha acharya
निर्भया के शरीर पर भी दांत काटने के लिए निशान मिले थे। डॉ. आचार्य ने पत्रिका को बताया कि पुलिस की टीम ने उनसे 2 जनवरी 2013 को संपर्क किया। पुलिस ने डॉ. आचार्य को पीड़िता के शरीर पर दांत काटने के निशान (Bites Marks ) के फोटो भेजे, प्लास्टर ऑफ पेरिस से बने आरोपी के दांत का जबड़ा बनाकर भेजा गया। पांच दिन उन्होंने दांत और जबड़े का अध्ययन किया। धारवाड़ा में दिल्ली से आई पुलिस टीम को उन्होंने अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। रिपोर्ट में 4 आरोपियों में से 2 राम सिंह और अक्षय के दांतों के निशान निर्भया के शरीर पर पड़े निशानों से मैच हो गए। दांतों का मिलान ही आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई गई। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि ऐसे मामलों में फॉरेंसिक डेंटिस्ट्री की मदद पहले भी ली जा रही है। निर्भया केस ऐसा पहला मामला नहीं था।
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