हाईकोर्ट ने कहा, केंद्र के आर्थिक फैसलों में नहीं दे सकते दखल
हाईकोर्ट ने जनहित याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि हम सरकार के आर्थिक फैसलों में दखल नहीं दे सकते। हालांकि कोर्ट ने कहा है केंद्र सरकार को निर्देश जरूर दिए जा सकते हैं। इस याचिका को लेकर मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति वीके राव की बेंच ने सुनवाई की।
क्या कहा गया था याचिका में?
आपको बता दें कि यह जनहित याचिका पूजा मल्होत्रा नाम की एक महिला ने लगाई थी। याचिका में कहा गया था कि तेल कंपनियां फिलहाल जिस रेट पर पेट्रोल और डीजल बेच रही हैं वो सीधे तौर पर एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट 1955 के सेक्शन 3(1)का खुला उल्लंघन है, जिसके लिए उन पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए। याचिका में कहा गया था कि केंद्र सरकार के पास यह अधिकार है कि वह वस्तुओं के प्रोडक्शन, डिस्ट्रीब्यूशन और सप्लाई पर पूरा नियंत्रण रखे और फिलहाल जिस तरह से पेट्रोल और डीजल के दामों में बढ़ोतरी हुई है, इस पर सरकार के तत्काल नियंत्रण करने की जरूरत है। याचिकाकर्ता ने इससे पहले जुलाई में भी इस तरह की याचिका लगाई थी और अदालत ने उसका निबटारा केंद्र को यह कहते हुए कर दिया था कि वह इसे एक प्रस्तुतिकरण माने और फैसला ले।
कांग्रेस समेत 21 राजनीतिक दलों ने बुलाया था बंद
आपको बता दें कि हाल ही में पेट्रोल-डीजल की बढ़ रही कीमतों के खिलाफ कांग्रेस पार्टी समेत 21 राजनीतिक दलों ने भारत बंद किया था। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राजघाट से लेकर रामलीला मैदान तक पैदल मार्च किया था। वहीं हिंदुस्तान के कई राज्यों में बंद के दौरान हिंसा की घटनाएं हुई थीं।