वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के आधार पर दावा किया गया था कि ग्रीन बजट में किए गए प्रावधानों की वजह से हर साल 20.98 मीट्रिक टन कार्बन डाईऑक्साइड, 503 मीट्रिक टन पीएम 2.5 समेत अन्य प्रदूषक तत्वों में कमी आएगी, लेकिन ग्रीन बजट में की गई घोषणाएं सिर्फ कागजी ही साबित हुई हैं।
– इलेक्ट्रिक तंदूर: ग्रीन बजट के प्रावधानों में सबसे पहले होटल-रेस्तरां में कोयले वाले तंदूर की जगह इलेक्ट्रिक तंदूर के इस्तेमाल को लागू करने की बात कही गई थी। वर्तमान में दिल्ली में 8 से 10 कोयले वाले तंदूर का इस्तेमाल रेस्तरां और होटलों में किया जाता है। इसे रोकने के लिए सरकार ने इलेक्ट्रिक तंदूर का इस्तेमाल करने का प्रावधान किया था। इसके अलावा इलेक्ट्रिक तंदूर का इस्तेमाल करने वालों को सरकार ने 5000 रुपए की सब्सिडी देने की भी बात कही थी, लेकिन अभी तक सरकार के पास सब्सिडी के लिए एक भी आवेदन नहीं आया है। सरकार ने तंदूर पर सब्सिडी के लिए ग्रीन बजट में एक करोड़ रुपए का प्रावधान किया था।
– सीएनजी: हर कोई जानता है कि पेट्रोल-डीजल के मुकाबले सीएनजी प्रदूषण रहित होती है। सरकार ने प्रदूषण को कम करने के लिए सीएनजी को प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए कंपनी फिटेड सीएनजी वाहन लेने पर रजिस्ट्रेशन शुल्क में 50 फीसदी छूट देने की बात कही थी, लेकिन ये योजना भी अभी तक सिर्फ कागजों में ही घूम रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में प्रदूषण की समस्या के लिए 41 फीसदी वाहनों की भागीदारी है।
– इलेक्ट्रिक मोबिलिटी नीति: वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार ने इलेक्ट्रिक मोबिलिटी नीति की घोषणा की थी। इसके तहत डीटीसी और क्लस्टर के अंतर्गत 1000 इलेक्ट्रिक बसें और 905 मेट्रो इलेक्ट्रिक फीडर बसें लानी थी। इलेक्ट्रिक बसों के ट्रायल शुरू करने के अलावा और कुछ नही हो सका है। .
– कृषि भूमि से बिजली उत्पादन: ग्रीन बजट में कृषि भूमि पर सोलर पैनल लगाकर बिजली उत्पादन और उसे बेचने की योजना तैयार की थी। योजना को जुलाई 2018 में कैबिनेट की भी मंजूरी मिल गई। इसके तहत किसान अपनी जमीन सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने के लिए दे सकते हैं। अभी तक यह योजना जमीन पर नहीं उतर पाई है।