पांच साल से जेल में है महिला असम में एक महिला के पति की मौत हो गई, लेकिन महिला नहीं रोई। इसलिए, स्थानीय अदालत ने महिला को अपने पति की हत्या का दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुना दी। इसके बाद महिला मामले को लेकर हाईकोर्ट पहुंची। लेकिन, आश्चर्य की बात यह है कि हाईकोर्ट ने स्थानीय अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए उसे उम्रकैद की सजा सुनाई। निचली अदालत और हाईकोर्ट ने महिला को सजा देते समय इस बात पर भी जोर दिया कि पति की हत्या वाली रात अंतिम बार महिला अपने पति के साथ थी। हत्या के बाद वह रोई नहीं, इससे उसके ऊपर संदेह गहराता है और यह साबित होता है कि उसने ही अपने पति की हत्या की।
सुप्रीम कोर्ट ने किया बरी इस फैसले के बाद महिला पांच साल से जेल में बंद थी। वहीं, अब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए महिला को रिहा करने के आदेश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस नवीन सिन्हा की बेंच ने कहा कि जो भी परिस्थितिजन्य साक्ष्य हैं उनके आधार पर यह कहना सही नहीं है कि महिला ने ही अपने पति की हत्या की है। इसके साथ ही बेंच ने महिला को जेल से रिहा करने का आदेश दिया। लेकिन, पांच साल से जेल में रहने के कारण महिला की जिंदगी पूरी तरह तबाह हो गई है। ऐसे में सवाल उठता है कि कौन इसकी भरपाई करेगा।