खुफिया विभाग के ताजा इनपुट्स के बाद इस बात का खुलासा हुआ है। बताया जा रहा है कि गश्ती नौकाओं को तैनात करने के पीछे चीन का मकसद सरहद पर होन वाली गतिविधियों की निगरानी करना है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक खुफिया विभाग के दिए गए इनपुट्स में बताया गया है कि झोंग डुई ने पैंगोंग झील पर ठिकाना बना लिया है। झोंग डुई एक विशेष वाटर स्क्वैर्डन को कहते हैं।
चीनी सेना का यह विशेष वाटर स्क्वैर्डन उनके माउंटेन टॉप नेशनल गेट फ्लीट का ही एक हिस्सा है। इसके जरिये काफी उच्च तकनीक के नेविगेशन और संचार उपकरण ले जाए जा सकते हैं। इतना ही नहीं झोंग डुई की विशेष नौकाएं एक बार में 5-7 सैनिकों को भी ले जा सकती हैं।
इस संबंध में खुफिया विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि विशेष वाटर स्क्वैर्डन की मदद से चीन की सेना बहुत तेजी से आगे बढ़ने के काबिल हो जाएगी। इतना ही नहीं अगर भविष्य में कोई तनाव की स्थिति पैदा होती है तो इसके जरिये वो तुरंत जवाब दे सकेंगे। फिलहाल विभाग पैंगोंग त्सो झील में चीनी सेना द्वारा की जा रही गश्ती और इसके प्रभावो का विश्लेषण कर रहा है।
गौरतलब है कि डोकलाम में हुई घुसपैठ के बाद हुए विवाद से लेकर अब तक भारत-चीन सीमा पर शांतिपूर्ण हालात बने हुए हैं। इतना ही नहीं दोनों सेनाओं के बीच होने वाली नियमित सीमा कार्मिक बैठकें भी बढ़ी हैं।
दोनों सेनाओं के सैनिक पूर्वी लद्दाख में समुद्र तल से 16 हजार फीट से भी ज्यादा ऊंचाई पर योग कर रहे हैं। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर किए जाने वाले इस अभ्यास का मकसद दोनों सेनाओं के सैनिकों के बीच विश्वास बढ़ाना है।
बता दें कि बीते वर्ष 2017 में पैंगोंग त्सो झील के इलाके में चीन की सेना के सैनिकों की घुसपैठ के बाद यहां तनाव की स्थिति पैदा हो गई थी। यहां तक की सैनिकों के बीच पत्थरबाजी तक भी हो गई थी। इस दौरान दोनों सेनाओं के जवान घायल हुए थे।