केंद्र ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि समग्र बाल पोर्नोग्राफी के मुद्दे से निपटने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं और इससे संबद्ध करीब 3,500 वेबसाइटों को पिछले महीने ब्लॉक कर दिया गया है।
नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी के मुद्दे से पूरी तरह निपटने के लिए कदम उठाए जा रहे। सरकार ने जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली तीन सदस्यों की पीठ को यह भी बताया कि उन्होंने सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) से स्कूलों में जैमर लगाने पर विचार करने को कहा है, ताकि छात्रों की पोर्नोग्राफी साइटों तक पहुंच न हो सके। सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद ने पीठ से कहा कि हम ऐसे तरीकों के साथ आ रहे हैं जो ऐसे हालात से पूरी तरह निपटेंगे। हालांकि, उन्होंने बताया कि स्कूल बसों में जैमर लगाना मुमकिन नहीं है।
सरकार 2 दिन में पेश करेगी स्टेटस रिपोर्ट
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर रोक लगाने के लिए उठाए गए कदमों पर स्टेटस रिपोर्ट पेश करेगी। कोर्ट ने केंद्र से दो दिन के अंदर इस पर स्टेटस रिपोर्ट पेश करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट देशभर में चाइल्ड पोर्नोग्राफी को रोकने के लिए कदम उठाने की मांग वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रही है।
3500 पोर्न साइट ब्लॉक
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह भी बताया कि इससे संबंधित करीब 3500 वेबसाइटों को पिछले महीने ब्लॉक कर दिया गया है।
यौन तस्करी के चंगुल से आजाद लड़कियां लेंगी कानून की डिग्री
देश में इस वक्त बाल यौन तस्करी के चंगुल से बचने वाली बच्चियों के लिए एक प्रोग्राम चलाया जा रहा है। ऐसी बच्चियों को न केवल सशक्त किया जा रहा है, बल्कि उन्हें कानून की पढ़ाई करने के लिए प्रोत्साहित भी किया जा रहा है। डच एंटी ट्रैफिकिंग समूह ‘फ्री ए गर्ल’ द्वारा इस साल अप्रेल में शुरू किए गए ‘स्कूल फॉर जस्टिस’ प्रोग्राम के तहत यौन तस्करी से बचाई गई बच्चियों को यूनिवर्सिटी में दाखिले की तैयारी कराई जाती है और उन्हें कानून की डिग्री दिलाने के लिए पढ़ाई में मदद दी जाती है। फिलहाल 19 लड़कियों के साथ इसकी शुरुआत की गई है।