बुलैटप्रूफ हेलमेट पार कर गई दो गोली
खबर के मुताबिक, शहीद होने से पहले मिलिंद और उनके साथी ने दो आतंकवादियों को मार गिराया था और तीन को घायल कर दिया था। इस बीच आतंकवादियों की एके 47 से चलाई गई दो गोलियां हेलमेट के पार हो गईं, जिससे मिलिंद की जान गई। खबर के मुताबिक जवान मिलिंद किशोर के कथित बुलैटप्रूफ हेलमेट में एके 47 की गोलियों से दो छेद हुए।
महाराष्ट्र के रहने वाले मिलिंद किशोर 2002 में वायुसेना में शामिल हुए थे। गरुड़ कमांडो मिलिंद स्पेशल ट्रेनिंग के लिए जम्मू कश्मीर में तैनात थे, जहां बांदीपुरा में आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए। फिलहाल मिलिंद चंडीगढ़ में तैनात थे और यहीं उनकी पत्नी दो बच्चे भी रहते थे।
गरुड़ कमांडो एयरफोर्स की एक स्पेशल यूनिट होती है। पूरे देश में केवल 1500 गरुड़ कमांडोज हैं। हवा और जमीन दोनों में मार करने में माहिर गरुड़ कमांडोज बेहद खास होते हैं। इन कमांडोज को नेवी के माकोर्स और सेना के पैरा कमांडो ट्रेनिंग देते हैं। एक साल की कड़ी मेहनत के बाद एक गरुड़ कमांडो तैयार होता है। गरुण कमांडो यूनिट की स्थापना वर्ष 2004 में हुई थी।
विषम हालात में आते हैं गरुड़ कमांडो
गरुड़ कमांडो यूनिट इजराइल के स्पेशल ‘शालडाग’ कमांडो की तर्ज पर काम करते हैं और बेहद विषम परिस्थिती में ही इन्हें युद्ध के लिए मैदान में भेजा जाता है।