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अयोध्या विवाद: तय समय से पहले सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित

locationनई दिल्लीPublished: Oct 17, 2019 05:36:25 pm

Submitted by:

Dhirendra

वकील धवन ने हिंदू पक्षकारों से कहा अब तक क्‍या कर रहे थे
पीएम मिश्रा की दलील को बताया मूर्खतापूर्ण
6 दिसंबर, 1992 को जो नष्ट हुआ, वो हमारी प्रॉपर्टी थी

SUPREME COURT

SUPREME COURT

नई दिल्‍ली। सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई पूरी हो गई है। बुधवार को इस सुनवाई का 40वां और अंतिम दिन था। हिंदू पक्ष की ओर से निर्मोही अखाड़ा, हिंदू महासभा, राम जन्मभूमि न्यास की ओर से दलीलें रखी गईं तो वहीं मुस्लिम पक्ष की तरफ से राजीव धवन ने अपनी दलीलें रखीं। फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
इससे पहले हिंदू पक्षकारों की ओर से दलीलें समाप्‍त होने के बाद मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन सीजेआई रंजन गोगोई की अध्‍यक्षता वाली पीठ के सामने अपना पक्ष रखा। वरिष्‍ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि हिंदू पक्षकारों ने कुरान के हवाले से जो दलीलें दी हैं वो आधारहीन हैं। राजीव धवन ने कहा कि हम अपनी जमीन पर कब्जा वापस चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि जिन कागजातों की बात हो रही है उसके चार-चार मतलब हैं। पहला उर्दू, फिर हिंदी जो जिलानी की तरफ से हुआ, फिर एक हिंदी जो हाईकोर्ट जस्टिस अग्रवाल की ओर से किया गया। उन्होंने कहा कि 2017 में चौथा ट्रांसलेशन हुआ।
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अब तक आप क्‍या कर रहे थे

हिंदू पक्षकारों से राजीव धवन ने कहा कि आप नवंबर तक क्या कर रहे थे? हमने कोर्ट के कहने पर ट्रांसलेशन किया था और कोर्ट में जमा किया था। इसपर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि इसपर आपत्ति ये है कि उस ट्रांसलेशन में कुछ ऐसे शब्द हैं जो असली वर्जन में हैं ही नहीं।
इसका जवाब देते हुए राजीव धवन ने कहा कि ऐसा नहीं है। बाबर को ही बाबरशाह भी कहा जाता था। मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा कि 6 दिसंबर, 1992 को जो नष्ट हुआ, वो हमारी प्रॉपर्टी थी। वक्फ संपत्ति का मतवल्ली ही रखरखाव का जिम्मेदार होता है। उसे वक्‍फ बोर्ड नियुक्त करता है। इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर हम आपके आधार को देखें तो ये ऑनरशिप के कागजात नहीं दर्शाता है।
दलील मूर्खतापूर्ण

राजीव धवन ने कहा कि राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति के वकील पीएन मिश्रा ने अनुवाद को जायज ठहराया और एक पैरा पढ़ा, लेकिन हम उन्हें पहले सुन चुके हैं। बाबर के द्वारा मस्जिद के निर्माण के लिए ग्रांट और लगान माफी देने के दस्वावेज हैं। इसपर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि ग्रांट से आपके मालिकाना हक की पुष्टि कैसे होती है?
मुस्लिम पक्षकारों के वकील ने कहा कि जमींदारी और दीवानी के जमाने को देखें तो जमीन के मालिक को ही ग्रांट मिलती थी। राजीव धवन ने कहा कि इनकी दलील मूर्खतापूर्ण है क्योंकि इनको भूमि कानून की जानकारी नहीं है। इसपर पीएन मिश्रा ने कहा कि उन्होंने लैंडलॉज पर दो किताबें लिखी हैं और आप कह रहे हैं मुझे कानून नहीं पता। इस पर राजीव धवन ने कहा कि आपकी किताबों को सलाम, उनपर पीएचडी कर लें।
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इससेे पहलेे बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में वकीलों के बीच तीखी बहस से नाराज सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि अगर दलील पेश करने का तरीका यही रहा तो हमारी तरफ से दोनों ओर से बहस पूरी हो चुकी है। हम सिर्फ इस इसलिए सुन रहे हैं कि कोई कुछ कहना चाहता है तो कह दे। हम अभी उठ कर जा भी सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट में ऑल इंडिया हिन्दू महासभा की ओर से अधिवक्‍ता विकास सिंह ने अतिरिक्‍त दस्‍तावेज के तौर पर पूर्व आईपीएस किशोर कुणाल की ओर से शोधपरक ग्रन्थ बेंच को दिया गया। इस पर मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने जोरदार आपत्ति जताई।
राजीव धवन के विरोध पर हिंदू महासभा के वकील विकास सिंह ने कहा कि कोर्ट ने किसी नए कागजातों को लाने पर मनाही की है लेकिन कोई पार्टी किसी तरह का सबूत या किताब दे सकती है।
राजीव धवन ने सीजेआई से कहा कि इसे ऑन रिकॉर्ड न लिया जाए। ये बिल्कुल नई चीज है। अदालत इसे वापस कर दें। इसपर अदालत की ओर से कहा गया कि ये किताब वो बाद में पढ़ेंगे। इसी के साथ किताब वापस दे दी गई है। जब विकास सिंह ने किताब दी तो चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि क्या वह इसे रख सकते हैं? मैं इसे बाद में पढ़ूंगा।
गोपाल सिंह विशारद की ओर से बहस समाप्‍त होने के बाद निर्वाणी अखाड़ा और महंत धर्मदास की ओर से दलील रखी जा रही है। निर्वाणी अखाड़ा की ओर से जयदीप गुप्ता दलील रख रहे हैं।
धूर्मदास की ओर से अधिवक्‍ता जयदीप गुप्ता ने कहा कि टाइटल पर हमारा विवाद नहीं है। हिंदुओं को जो रामलला का अधिकार मिलेगा उससे हम ही सेवायत होंगे। सेवायत का दावा निर्मोही अखाड़े का भी है। हमने सूट फाइल नहीं किया है हम तो डिफेंडेन्ट हैं।
धर्मदास की ओर से कहा गया कि अभी तो हम ही इकलौते सेवायत दावेदार हैं। जब वहां रिसीवर नियुक्त किए गए तब भी हमारा अखाड़ा ही सेवा, शोभायात्रा और उत्सव का आयोजन और देखरेख करता था, लेकिन बाद में हमें बाहर कर दिया।
शीर्ष अदालत में निर्वाणी अखाड़ा की ओर से कहा गया है कि रामलला जन्मस्थान की सेवा का अधिकार उनका है। इसपर जस्टिस भूषण ने कहा कि लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा को सेवायायी माना है। इसपर जयदीप गुप्ता ने कहा कि वो दावा गलत है।
इसी दौरान गोपाल सिंह विशारद के वकील रंजीत कुमार खड़े हुए तो CJI ने उन्हें कहा कि आपको सिर्फ 2 मिनट ही मिलेंगे। क्‍योंकि मंगलवार को आपने दो ही मिनट मांगे थे। इसपर रंजीत कुमार ने कहा कि सर, वो तो मंगलवार के लिए दो मिनट थे। अब कैसे बहस पूरी होगी?
गोपाल सिंह विशारद की ओर से रंजीत कुमार ने कहा कि हिंदुओं की ओर से पूजा का अधिकार पहले मांगा गया था, लेकिन मुस्लिम रूल में हिंदुओं को पूजा के अधिकार मिलने में दिक्कत आई थी। हालांकि जब ब्रिटिश रूल आया तो इस मामले में कुछ राहत मिली।
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वैद्यनाथन ने जमीन हमारा है, बाबर अवैध तरीके बनवाया मस्जिद

सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को अयोध्‍या विवाद पर सुनवाई शुरू होते ही हिंदू पक्षकार सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि इस बात के प्रमाण हैं कि 16 दिसंबर, 1949 के बाद विवादित स्थल पर कोई नमाज अदा नहीं की गई। 22 और 23 दिसंबर की रात से रामलला वहां विराजमान थे। 23 दिसंबर, 1949 को शुक्रवार था, लेकिन मूर्ति होने की वजह से नहां पर नमाज नहीं हो सकी थी। सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि मुस्लिम पक्ष के पास ऐसे कोई सबूत नहीं हैं कि वो साबित कर सके कि जमीन पर उनका हक है। मुस्लिम पक्ष की तरफ से ये दावा किया गया कि वहां 22-23 दिसंबर तक नमाज हो रही थी, लेकिन 1934 तक शुक्रवार की नमाज होती थी।
सुप्रीम कोर्ट में रामलला विराजमान के वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि मुस्लिम पक्ष हमपर कब्जा करने की बात कही है, लेकिन हमने ऐसा नहीं किया। हम जो मांग रहे हैं वह बाबर के द्वारा जो अवैध निर्माण हुआ था उसकी जमीन मांग रहे हैं।
इसपर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि वक्फ बोर्ड के जमीन पर हक के दावा पर आप क्या कहेंगे? इसपर वैद्यनाथन ने कहा कि ये लोग मंदिर के दावे को खारिज कर रहे हैं लेकिन जब वहां पर पहले से ही मंदिर था तो ऐसा कैसे कह सकते हैं? रामलला विराजमान के वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि जबतक जमीन पर हक न हो तो मस्जिद नहीं बनाई सकती है।
देश के सबसे बड़े अयोध्या विवाद ( रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद ) पर बुधवार को आखिरी बहस होगी। यह विवाद अब अपने अंतिम पड़ाव पर है। आज हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों की ओर से शीर्ष अदालत के सामने अंतिम दलीलें रखी जाएंगी।
बता दें कि मंगलवार को सीजेआई रंजन गोगोई ने ऐसे संकेत दिए थे कि 16 अक्टूबर को सुनवाई खत्म हो जाएगी।

इस मामले की सुनवाई का आखिरी दिन 17 अक्टूबर तय किया गया था, लेकिन बहस के लिए आखिरी दिन 16 अक्टूबर है। 17 अक्टूबर को ‘मोल्डिंग ऑफ रिलीफ’ के लिए रिजर्व रखा गया है। इस दौरान दोनों पक्षकार अपनी मांग सुप्रीम कोर्ट के सामने रखेंगे।
दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट में इस विवाद की सुनवाई अंतिम दौर में पहुंचते ही अयोध्या में भी इस बात को लेकर हलचल तेज हो गई है। अयोध्या में 10 दिसंबर तक धारा 144 लगा दी गई है। अयोध्‍या शहर में संतों का पहुंचना शुरू हो गया है। अयोध्या में किसी तरह से हालात न बिगड़े इसके लिए सुरक्षाबल भी मुस्तैद हैं।
आज कौन-कितनी देर तक रखेगा दलील?

सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सबसे पहले हिंदू पक्ष की ओर से निर्मोही अखाड़ा के वकील अपनी अंतिम दलील देंगे। बुधवार को हिंदू पक्ष के वकील सीएस वैद्यनाथन को बहस के लिए 45 मिनट मिलेंगे। इसके अलावा हिंदू पक्षकारों के अन्य वकीलों को भी इतना ही समय मिलेगा। आखिरी में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन को जवाब देने के लिए एक घंटे का समय मिलेगा।
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