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अयोध्या विवाद: क्या मस्जिद में नमाज इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है! जानिए 10 बड़ी बातें

मुस्लिम पक्षकारों ने शीर्ष अदालत से मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्‍लाम का अभिन्‍न हिस्‍सा है या नहीं पर पुनर्विचार की मांग की थी।

नई दिल्लीSep 27, 2018 / 10:18 am

Dhirendra

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अयोध्या विवाद: क्या मस्जिद में नमाज इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है! जानिए 10 बड़ी बातें

नई दिल्ली। राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद से जुड़े एक मामले पर सुप्रीम कोर्ट आज अपना फैसला सुना सकता है। बता दें कि भगवान राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि पर मालिकाना हक विवाद पर बहस के दौरान मुस्लिम पक्षकारों ने शीर्ष अदालत के सामने मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्‍लाम का अभिन्‍न हिस्‍सा है या नहीं पर पुनर्विचार की मांग की थी। मुस्लिम पक्षकारों का कहना था कि 1994 के इस्‍लाम फारुकी फैसले पर फिर से विचार करने की जरूरत है। मुस्लिम समूह की याचिकाओं पर 20 जुलाई सुनवाई पूरी हो गई थी। इस पर आज सुप्रीम कोर्ट के अपना फैसला सुना सकता है।
इस मसले से संबंधित 10 अहम बातें

1. अगर तीन जजों की पीठ ये तय करती है कि मामले पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए तो वो पांच जजों के संविधान पीठ को भेज सकती है। ऐसा हुआ तो टाइटल सूट की सुनवाई में काफी विलंब हो सकता है। पीठ कहती है कि उस फैसले पर विचार की जरूरत नहीं है, तो रामजन्मभूमि- बाबरी मस्जिद जमीन विवाद पर सुनवाई जल्द हो सकती है।
2. इसके बाद से सुप्रीम कोर्ट टाइटल सूट से पहले इस पहलू पर सुनवाई कर रहा था कि मस्जिद में नमाज पढना इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है या नहीं। कोर्ट ने ये कहा था पहले ये तय होगा कि संविधान पीठ के 1994 के उस फैसले पर फिर से विचार करने की जरूरत है या नहीं कि मस्जिद में नमाज पढना इस्लाम का अभिन्‍न हिस्‍सा है या नहीं।
3. मुस्लिम पक्षकारों की मांग पर तीन जजों की बेंच ने 20 जुलाई को इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। आज इस मुद्दे पर मुख्‍य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति अशोक भूषण तथा न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ अपना फैसला सुनाएगी।
4. 1994 में पांच जजों के पीठ ने राम जन्मभूमि में यथास्थिति बरकरार रखने का निर्देश दिया था। ताकि हिंदू पूजा कर सकें। पीठ ने ये भी कहा था कि मस्जिद में नमाज पढना इस्लाम का इंट्रीगल पार्ट नहीं है।
5. 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला देते हुए विवादित भूमि में से एक तिहाई हिंदू, एक तिहाई मुस्लिम और एक तिहाई राम लला को सौंपने का निर्देश दिया था।

6. मुस्लिम पक्षकारों की ओर से वकील राजीव धवन ने तालिबान द्वारा बुद्ध की मूर्ति तोड़े जाने का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्हें ये कहने में कोई संकोच नही कि कि 1992 में जो मस्जिद गिराई गई वो हिन्दू तालिबानियों द्वारा गिराई गई।
7. मुस्लिम पक्षकारों ने उत्तर प्रदेश सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार को इस मामले में तटस्‍थ भूमिका निभानी चाहिए थी। सरकार इसमें विफल रही और मस्जिद को तोड़ दिया गया।

8. राम जन्‍मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद मामले के एक मूल वादी एम सिद्दीकी ने एम इस्माइल फारूकी के मामले में 1994 के फैसले में इन खास निष्कर्षों पर ऐतराज जताया था जिसके तहत कहा गया था कि मस्जिद इस्लाम के अनुयायियों द्वारा अदा की जाने वाली नमाज का अभिन्न हिस्सा नहीं है। सिद्दीकी की मृत्यु हो चुकी है और उनका प्रतिनिधित्व उनके कानूनी वारिस कर रहे हैं।
9. यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि कुछ मुस्लिम समूह इस्लाम का अभिन्न हिस्सा मस्जिद के नहीं होने संबंधी 1994 की टिप्पणी पर पुनर्विचार करने की मांग कर लंबे समय से लंबित अयोध्या मंदिर-मस्जिद भूमि विवाद मामले में विलंब करने की कोशिश कर रहे हैं। अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने उप्र सरकार की ओर से पेश होते हुए कहा था कि यह विवाद करीब एक सदी से अंतिम निर्णय का इंतजार कर रहा है।
10. सुप्रीम कोर्ट के वरिष्‍ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने सिद्दीकी की ओर से अदालत में कहा था कि मस्जिदें इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है। यह टिप्पणी उच्चतम न्यायालय ने बगैर किसी पड़ताल के या धार्मिक पुस्तकों पर विचार किए बगैर की।

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