आर्मी चीफ बिपिन रावत का बड़ा बयान, सीमा पर जंग के लिए अभी महिलाएं तैयार नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने LGBT को ठहराया है वैध
आपको बता दें कि अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे LGBT समुदाय के लोगों के लिए वर्ष 2018 के सितंबर महीने में सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला दिया। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने संविधान की धारा 377 पर सुनवाई करते हुए उसे वैध करार दिया। यानी इसकी संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि धारा 377 संवैधानिक है और इसके तहत समलैंगिकता कोई अपराध नहीं है। कोर्ट के इस फैसले के बाद से देशभर के LGBT समुदाय में खुशी की लहर दौड़ गई। समाज में हीन भावना के डर से जो अपने प्यार को इजहार नहीं कर रहे थे वे सब कोर्ट के फैसले के बाद सामने आकर अपनी खुशी का इजाहर करने लगे। बता दें कि सुप्रीम कर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने एकमत से 158 साल पुरानी भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के उस हिस्से को निरस्त कर दिया जिसके तहत परस्पर सहमति से अप्राकृतिक यौन संबंध बनाना अपराध था। कोर्ट ने आगे अपने फैसले में यह भी कहा था कि यह प्रावधान संविधान में प्रदत्त समता के अधिकार का उल्लंघन करता है। हालांकि अब देखना दिलचस्प होगा कि बिपिन रावत के इस बयान के बाद से इसपर किया राजनीतिक बयानबाजी होती है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सेना के अंदर लागू किए जाने को लेकर क्या प्रतिक्रियाएं आती है।