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बच्ची ने दम तोड़ा तो एंबुलेंस से उतारा, पिता ने 6 किमी ढोई लाश

Published: Sep 03, 2016 09:58:00 am

Submitted by:

Rakesh Mishra

पिता दीनबंधु खेमुडु ने बताया कि तबीयत खराब होने पर वे अपनी सात साल को बच्ची को जिला अस्पताल लेकर जा रहे थे

Daughters-Body

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मलकानगिरी। कालाहांडी में दाना मांझी के मामले को बीते अभी एक हफ्ता ही हुआ है कि ओड़िशा में एक और शख्‍स को अपनी सात साल की बेटी का शव लिए 6 किलोमीटर तक पैदल चलने को मजबूर होना पड़ा, क्‍योंकि जिस एंबुलेंस में वह सवार थे उसने कथित रूप से उन्‍हें बीच रास्‍ते में ही उतार दिया। एंबुलेंस के ड्राइवर को जब यह पता चला चला कि मलकानगिरी जिला अस्‍पताल जाने के रास्‍ते में ही लड़की की मौत हो गई है तो उसने कथित रूप से उसके माता-पिता को रास्‍ते में ही उतर जाने को कहा।

मलकानगिरी के घुसापल्‍ली की रहने वाली बरसा खेमुडू की मौत तब हो गई जब उसके माता-पिता उसे मिथाली अस्‍पताल से एंबुलेंस के जरिए मलकानगिरी जिला अस्‍पताल ले जा रहे थे। बरसा की हालत खराब होने के बाद उसे मिथाली अस्‍पताल से जिला अस्‍पताल रेफर किया गया था। लड़की के पिता दीनाबंधु खेमुडू ने बताया, जैसे ही ड्राइवर को पता चला कि हमारी बेटी की मौत रास्‍ते में ही हो गई है, उसने हमसे एंबुलेंस से उतर जाने को कहा।

मामला तब प्रकाश में आया जब स्‍थानीय लोगों ने खेमुडू और उसकी पत्‍नी को बेटी का शव लेकर पैदल चलते देखा और उसके बारे में पूछा। इसके बाद गांव वालों ने स्‍थानीय बीडीओ और चिकित्‍सा अधिकारियों से संपर्क किया तब जाकर दूसरी गाड़ी का इंतजाम हो पाया। हालांकि मलकानगिरी के जिला कलेक्‍टर के सुदर्शन चक्रवर्ती ने मुख्‍य जिला चिकित्‍सा अधिकारी उदय शंकर मिश्रा को मामले की जांच करने को कहा है। इसके अलावा मलकानगिरी पुलिस थाने में ड्राइवर के साथ ही एंबुलेंस में मौजूद फार्मासिस्‍ट और अटेंडेंट के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है।




गौरतलब है कि बीते सप्ताह ओडिशा के कालाहांडी जिले में एक आदिवासी व्यक्ति अपनी मृत पत्नी को 12 किलोमीटर तक पैदल लेकर चला। इसका कारण था उसके बाद एंबुलेंस के लिए पैसे नहीं थे। उसने जिला अस्पताल के अधिकारियों से शव को ले जाने के लिए गाड़ी की मांग की मगर उसको कोई मदद नहीं मिली। 42 साल के दाना माझी नाम की पत्नी अमंगदई टीबी से पीडि़त थी। उसकी अमंगदई की भवानीपटना के जिला अस्पताल में मौत हो गई थी।

दाना माझी का गांव भवानीपटना से करीब 60 किलोमीटर दूर था। उसने अपनी पत्नी के शव को घर गांव तक ले जाने के लिए एक वाहन की मांग की। जब उसकी बात नहीं सुनी गई तो वो अपनी बीवी की लाश को एक चादर में बांधकर कंधे पर लादकर पैदल निकल गया। दाना माझी के साथ उसकी 12 साल की बेटी भी थी। करीब 12 किलोमीटर दूर चलने के बाद कुछ स्थानीय युवा उसकी मदद करने के लिए आगे आए थे।

इन युवाओं ने एंबुलेंस की व्यवस्था करने के लिए जिला कलेक्टर को फोन किया। उसके बाद एंबुलेंस मंगवाई गई। दाना माझी ने बताया कि मैंने अस्पताल के प्रशासन को कहा था कि मैं बहुत ही गरीब आदमी हूं। गाड़ी के लिए पैसे नहीं जुटा सकता। कई बार कहने के बाद भी मुझे कोई मदद नहीं मिली।
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