शिव के ‘आसूंओं’ से बना दी शानदार तस्वीर, 14000 रुद्राक्ष से उकेरा छत्रपति शिवाजी महाराज का चित्र सभी को 28 अगस्त को गिरफ्तार किया पिछले साल भीमा-कोरेगांव गांव में हुई हिंसा के मामले में महाराष्ट्र पुलिस ने वरवरा राव, अरूण फरेरा, वरनान गोन्साल्विज, सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा को 28 अगस्त को गिरफ्तार किया था। शीर्ष अदालत ने 29 अगस्त को सभी आरोपियों को छह सितंबर तक अपने घरों में ही नजरबंद करने का आदेश दिया। उस समय जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि असहमति लोकतंत्र का सेफ्टी वॉल्व है, इसे रोका तो यह फट जाएगा। दूसरी ओर याचिकाकर्ता के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि एफआईआर में गिरफ्तार किए लोगों का नाम तक नहीं है, जबकि पुणे पुलिस की ओर से ASG तुषार मेहता कहा था कि याचिका दायर करने वालों का इस मामले का कोई संबंध नहीं है। उसके बाद पुणे पुलिस ने प्रेस वार्ता की।जिस पर देश की सबसे बड़ी अदालत ने नाराजगी जाहिर की। सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि पुलिस ऐसा कैसे कह सकती है कि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में दखल नहीं देना चाहिए। प्रेस से बात करने को लेकर असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल ( ASG ) तुषार मेहता ने कोर्ट से माफी मांगी है।