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21 अगस्त को भारत में रात होगी और अमरीका में अंधेरा

locationनई दिल्लीPublished: Aug 15, 2017 09:43:00 pm

Submitted by:

Prashant Jha

ये भारत में दिखाई तो नहीं देगा, लेकिन इसका असर राशियों पर होगा और इसका सूतक भी भारत में लगेगा।

solar eclipse
नई दिल्ली. यह पढक़र आपको हैरानी जरूर हुई होगी, लेकिन यह सच है। जी हां, 21 अगस्त को जब भारत में रात होगी तो अमेरिका में भी घना अंधेरा छा जाएगा। दरअसल, 21 अगस्त को इस वर्ष का सबसे बड़ा सूर्यग्रहण पडऩे जा रहा है। यह पूर्ण सूर्यग्रहण उत्तरी अमेरिका, पश्चिमी यूरोप में मुख्य रूप से दिखाई देगा। चूंकी उस दौरान अपने देश में रात होगी इसलिए यह भारत से दिखाई नहीं देगा। भारतीय समय के अनुसार यह सूर्यग्रहण 21 अगस्त की रात्रि नौ बजकर 16 मिनिट से आरंभ होगा और रात्रि में दो बजकर 34 मिनट पर खत्म हो जाएगा। नासा इस ग्रहण का लाइव टेलिकास्ट करेगा।
इस ग्रहण के दौरान पडऩे वाला घना अंधकार अमेरिका के क्षेत्र को लगभग 112 किमी की चौड़ाई में पट्टी की तरह पश्चिम से पूर्व की ओर 14 राज्यों के भागों को घेर लेगा।

भारत से देखना हो यह सूर्यग्रहण तो
भारत 26 दिसंबर 2019 को वलयाकार सूर्यग्रहण मेंगलोर और कोयम्बटूर से और 21 जून 2020 को बीकानेर व नई दिल्ली में देखा जा सकेगा, पूर्ण ग्रहण देखने 20 मार्च 2034 का इंतजार करना होगा, जो कारगिल क्षेत्र में देखा जा सकेगा।

क्या होता सूर्यग्रहण?
सूर्यग्रहण तब होता है जब पृथ्वी और सूरज के बीच चंद्रमा आ जाता है। इससे धरती के कुछ हिस्सों से सूरज नजर नहीं आता है। चंद्रमा जब सूरज को जब पूरी तरह ढक लेता है तो पूर्ण सूर्यग्रहण होता है। ऐस सूरज की रोशनी धरती के उस हिस्से तक नहीं पहुंच पाती और अंधेरा छा जाता है। जब चंद्रमा सूरज के कुछ हिस्से ढकता है तो आंशिक सूर्यग्रहण और जब चंद्रमा सूरज के मध्य का हिस्से को ढक लेता है और एक चक्र जैसी आकृति दिखती है तो इसे तो वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं।
भारत में सूतक लगेगा
21 अगस्त को इस वर्ष साल 2017 का दूसरा सूर्य ग्रहण होगा। ये भारत में दिखाई तो नहीं देगा, लेकिन इसका असर राशियों पर होगा और इसका सूतक भी भारत में लगेगा।
सूरज से जुड़े कुछ जबरदस्त तथ्य
13 लाख 90 हजार किलोमीटर सूर्य धरती पर ऊर्जा का स्त्रोत है।
– यह सौरमंडल के केन्द्र में स्थित एक तारा है।
– सूर्य का व्यास लगभग 13 लाख 90 हजार किलोमीटर है।
– बाहरी सतह का निर्माण हाइड्रोजन, हिलियम, ऑक्सीजन, सिलिकन, सल्फर, मैग्निशियम, कार्बन, नियोन, कैल्सियम, क्रोमियम तत्वों से हुआ है।
– सूरज आकाश गंगा के केन्द्र की 251 किलोमीटर प्रति सेकेंड की गति से परिक्रमा करता है। – – इस परिक्रमा में 25 करोड़ वर्ष लगते हैं इस कारण इसे एक निहारिका वर्ष भी कहते हैं।
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