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बापू ने देखा था साफ-सुधरे भारत का सपना, 1915 में बोए थे स्वच्छता के बीज

locationनई दिल्लीPublished: Sep 23, 2018 11:32:37 am

Submitted by:

Saif Ur Rehman

बापू ने स्वच्छता में सबकी भागेदारी का संदेश दिया। उनका कहना था ‘स्वच्छता ही प्रभुता’ है।

gandhi ji

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नई दिल्ली। देश को अंग्रेजों की गुलामी की जंजीरों से आजादी दिलाने वाले मोहनदास करमचंद गांधी यानी महात्मा गांधी मानवता की ऐसी मिसाल हैं जिनका जीवन हर किसी को प्रेरित करता है। कुछ उनके देखे सपने को पूरा करने में लगे हुए हैं। उनमें से एक हैं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। पीएम मोदी ने महात्मा गांधी के साफ-सुधरे भारत के सपने को पूरा करने का बीड़ा उठाया है। इसके लिए पीएम मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरूआत 2014 में की थी। साथ ही कहा था कि वर्ष 2019 में जब हम बापू की 150वीं वर्षगांठ मना रहे होंगे तो एक स्वच्छ भारत उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगा।
Mahatma gandhi
सन 1915 में बापू ने बोए थे स्वच्छता के बीज

साफ-सफाई में बराबरी की हिस्सेदारी की वकालत करने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने साफ-सुधरे हिंदुस्तान का ख्वाब संजोया था। बापू ने ही पहला ‘स्वच्छाग्रह’ छेड़ा था। उन्होंने ‘क्विट इंडिया और क्लीन इंडिया’ का संदेश दिया था। दक्षिण अफ्रीका में वकालत करने के बाद स्वदेश लौटते ही बापू ने देश को स्वतंत्र करने के साथ ही स्वच्छ करने पर भी जोर दिया। इसके लिए फौरन काम भी शुरू कर दिया। महात्मा गांधी ने इसके लिए बाकायदा अभियान चलाए। जगह-जगह जनता को संबोधित किया। लोगों को समझाया बुझाया कि सफाई कार्य किसी और का काम नहीं बल्कि स्वयं ही देश को स्वच्छ करना है।
आजादी की अलख जलाने वाले बापू ने सफाई का पहला अभियान 1915 में हरिद्वार के कुंभ मेले से शुरू किया था। इसके बाद साल 1916 में वह बनारस भी गए। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय ने उन्हें बुलावा भेजा था। धार्मिक नगरी काशी में गंदगी और सफाई के प्रति उनका बुरा रवैया देखकर वह हैरान रह गए। उस दौरे पर महात्मा गांधी मशहूर विश्वनाथ मंदिर भी गए। वहां पर बापू ने मंदिर में गंदगी को लेकर पूजारी से शिकायत भी की।
Mahatma
सफाई में हो सभी तबकों की भागीदारी

देश में अछूत माने जाने वाले समुदाय के लोग ही पहले घरों में साफ सफाई करते थे। बापू ने स्वच्छता में सबकी भागीदारी का संदेश दिया। उनका कहना था कि अगर मजबूरी में निचली जाति का व्यक्ति सफाई करेगा तो वह दिल से सफाई नहीं करेगा। वक्त-वक्त पर बापू स्वच्छता के अपने विचार लोगों को समझाते रहे। उनका ये विचार मजबूत दर्शन में भी बदला।
11 फरवरी, 1938 को हरिपुरा अधिवेशन में 1200 स्वैच्छिक सफाई कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए गांधीजी ने कहा था- ‘मुझे यह देखकर बड़ी खुशी हुई है कि आप लोगों ने यह काम अपने हाथ में ले लिया है। लेकिन आप लोगों को यह जानना चाहिए कि यह काम कैसे होता है। यह काम प्रेम से और बुद्धिमत्तापूर्वक किया जाना चाहिए- प्रेम से इसलिए कि जो लोग गंदगी फैलाते हैं उन्हें यह नहीं मालूम कि वे क्या बुराई कर रहे हैं, और बुद्धिमत्तापूर्वक इसलिए कि हमें उनकी कुटेव (बुरी आदत ) छुड़ानी है और उनका स्वास्थ्य सुधारना है।
लेकिन आज सोचने वाली बात है कि आजादी के इतने साल होने के बाद भी हम अपने देश को साफ करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। आखिर गलती कहां हुई है ये सोचना हमें ही है।
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