इनका कहना था कि शहरी वातावरण में बढ़ते प्रदूषण और टाक्सिन ने 45 से 48 प्रतिशत इन्फर्टिलिटी के मामले बढ़ा दिये हैं। जीवनशैली में बदलाव और खानपान की गलत आदतें भी अप्रत्यक्ष रूप से इन्फर्टिलिटी की जि़म्मेदार हैं। पेस्टिसाइड और प्लास्टिक का खानपान के दौरान हमारी फूड चेन में आना हार्मोन के स्तर को प्रभावित करता है। साथ इन डाक्टरों का कहना था कि आज तरक्की और सफलता की चाह में पुरूष और महिला कम उम्र में विवाह नहीं करना चाहते। विवाह के अधिक उम्र में होने पर बच्चे के बारे में सोचने में भी उन्हें समय लग जाता है। महिलाएं भी आज ज्यादा आत्मनिर्भर होने लगी हैं और वो कम उम्र में बच्चा नहीं चाहतीं। डाक्टरों के अनुसार अधिक उम्र में विवाह होने से स्त्रियों में ओवम की क्वालिटी प्रभावित होती है और इन्हीं कारणों से उनमें इन्फर्टिलिटी की सम्भावना भी बढ़ जाती है।इस दौरान पैनल डिस्कशन में डॉ गीता खन्ना वह डॉ अनुराधा गुप्ता,डॉ साधना जयसवाल, डॉ मीना जैन,डॉ मधु शारदा,डॉ उषा यादव, डॉ दिव्या अग्रवाल, डॉ प्रज्ञा कसेरा, डॉ अर्चना कसेरा,डॉ भावना तिवारी सामिल रही। कार्यक्रम का प्रारंभ सरस्वती वंदन के साथ शुरू हुआ।
इस अवसर पर प्रमुख अतिथि के रूप में गीता खन्ना व विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर सीपी सिंह ने आयोजकों को इस आयोजन को बधाई दिया। इस अवसर इस अवसर पर मिर्जापुर में इस तरह की आयोजन को लेकर लोगों ने बधाई भी दिया और कार्यक्रम के अंत में कहा गया कि 2019 में इससे भी बड़ा आयोजन किया जाएगा। ताकि जिले के मरीजो को इलाज के लिए कहीं बाहर न जाना पड़े और मिर्जापुर में उन्हें पूरी सुविधा मिल सके।