बतादें कि वाराणसी के टेंगरा मोड़ से मिर्ज़ापुर के ड्रमडगंज तक राष्टीय राजमार्ग- सात को फोरलने करने की प्रक्रिया पर काम चल रहा है। किसानों की जमीन का अधिग्रहण तो किया जा रहा है लेकिन लेकिन उन्हे उचित मुआवजा नही मिल पा रहा है। किसान लगातार इस पर विरोध जता रहे हैं। बुधवार को नरायनपुर के प्रतापपुर गांव में किसान यूनियन के बैनर तले दर्जनों स्थानीय किसान धरने पर बैठ गये। किसानों का कहना है कि प्रशासन हमारी कृषि और आबादी भूमि का मुआवजा एक समान देना चाह रहा है। आबादी की भूमि में हमारे घर-मकान, समेत बहुत कुछ है लेकिन उसका भी सर्किल रेट कृषि भूमि के बराबर दिया जा रहा है। जो कि कहीं से भी उचित नहीं है।
धरना दे रहे किसान का रमाकांत का कहना है कि सरकार जमीन तो ले रही है। मगर किसानों का शोषण कर रही है। जमीन का मुआवजा उचित नहीं मिल रहा है। जो जमीन राष्टीय राजमार्ग के किनारे है। इस समय उसका बाजार मूल्य 15 से 20 लाख रुपये बिस्वा है मगर सरकार उसकी जमीन एक लाख से दो लाख रूपये विस्वा ले रही है। किसानों का कहना है कि जिस घर को फोर लेन के लिए अधिग्रहण किया जा रहा है। उस घर के जमीन के मुआवजे का रेट कृषि दर से दिया जा रहा है। जो कि कहीं से भी उचित नहीं है।
वहीं धरना दे रहे किसानों ने वन विभाग पर भी शोषण का आरोप लगाते हुए कहा कि अधिग्रहण के दौरान किसानों के पेड़ों को वन विभाग अपना बता कर उनका हक मारने की कोशिश कर रहा है। लोगों ने सरकार और प्रशासन को चेतावमनी दिया है कि अगर हमारी बात नहीं सुनी गई तो पचासों गांव के लोग इकट्टठा होकर सरकार के खिलाफ आंदोलन की भूमिका तय करेंगे।