उनका कहना है कि पूरे देश मे पिछड़े वर्ग के आरक्षण को अलग-अलग तरीके से लागू किया गया है। देश मे जहां तमिलनाडु में पिछड़ों के लिए सबसे अधिक आरक्षण की व्यवस्था की गई है तो वहीं मध्य प्रदेश में दिए गए 27 प्रतिशत आरक्षण को भी नहीं लागू किया गया है। अनुप्रिया पटेल ने सरकार से जानना चाहा कि क्या आने वाले समय मे जनसंख्या के बाद पिछड़े वर्ग के आरक्षण में कोई स संशोधन होगा। उन्हें उनकी जनसंख्या के हिसाब से आरक्षण का लाभ मिलेगा। पिछड़े वर्ग को जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण देने की मांग को उठा कर अनुप्रिया पटेल ने भाजपा से चल रहे नाराजगीं के बीच एक बड़ा मुद्दा उठा दिया, जो आने वाले लोकसभा चुनाव में प्रमुख मुद्दा बन सकता है।
दरअसल प्रदेश में 2014 के लोक सभा चुनाव में पिछड़े वर्ग का भरपूर समर्थन भाजपा और अपना दल गठबंधन को मिला था। मगर जिस तरह से सपा और बसपा एक हो महागठंबधन की चर्चा चल रही है। वह आने वाले समय मे प्रदेश की राजनीति में पिछड़े वर्ग की राजनीति करने वाली अपना दल(एस) सहित तमाम पार्टियों के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है।
छोटी राजनीतिक पार्टियों को डर है कि कही सपा को मजबूत देख अन्य पिछड़ी जाति खास तौर से पटेल समुदाय भी सपा के साथ न चला जाय।जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में अपना दल को एक प्रतिशत मत मिला है। भाजपा ने अनुप्रिया पटेल को पिछड़े वर्ग के नेता के तौर पर चुनाव में प्रोजेक्ट किया था। इसीलिए अनुप्रिया पटेल अब सपा पर निशाना साधते हुए अब पिछड़े वर्ग को आबादी के अनुरूप आरक्षण का मुद्दा उठा कर खुद को पिछड़े वर्ग की सबसे बड़े नेता के तौर पर स्थापित करने की कोशिश करती दिख रही हैं।
By Suresh Singh