यह भी पढ़ेंः शिवरात्रि पर कांवड़ यात्रा को लेकर तैयारियां शुरू, इस बार होगी ये खास व्यवस्थाएं किसानों ने कहा- वेस्ट यूपी के साथ धोखा मोदी सरकार के न्यूतम समर्थन मूल्य के नए फैसले पर अधिकांश किसान संगठनों का कहना है कि केंद्र सरकार का खरीफ का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाना वेस्ट यूपी के किसानों के साथ धोखा है। किसानों को फसलों की लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रदान करने की सिफारिश को हरी झंडी देते हुए एमएसपी की बढ़ी दरों को लागू कर दिया गया। सरकार किसानों की भलाई के लिए कदम बता रही है तो वहीं विपक्ष इसे सरकार की चुनावी चाल बता रहा है। भाकियू के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि इससे वेस्ट यूपी के किसानों को कोई लाभ होने वाला नहीं है। सरकार ने खरीफ की फसल के न्यूनतम मूल्य में वृद्धि कर पश्चिम के किसानों के साथ अन्याय किया है। यहां के किसानों की सर्वाधिक समस्या गन्ना मूल्यों को लेकर होती है। जो आज तक कोई भी सरकार हल नहीं कर पाई।
यह भी पढ़ेंः यूपी पुलिसकर्मियों की ट्रेनिंग में शामिल होगा इस कोतवाल का पाठ्यक्रम चार साल बाद वादा पूरा कर रहे सरकार ने 2014 में लागत का डेढ़ गुना एमएसपी प्रदान करने का वादा अब 2018 में जाकर पूरा किया है। इससे किसानों को क्या लाभ होगा। कांग्रेस नेता अभिमन्यु त्यागी ने इसे चुनावी लॉलीपॉप करार दिया और कहा कि सरकार ने कृषि लागत एवं उत्पादन आयोग (सीएसीपी) की 2018-19 के लिए की गई सिफारिशों के आधार पर एमएसपी घोषित नहीं किया है। अखिल भारतीय किसान संघ के देवेन्द्र शर्मा ने कहा कि खरीफ फसलों के एमएसपी में वृद्धि के केंद्र सरकार के इस फैसले को किसानों के साथ धोखा करार दिया है। उन्होंने कहा कि धान के एमएसपी में 200 रुपये की बढ़ोतरी किसानों के साथ ऐतिहासिक धोखा है।
यह भी पढ़ेंः प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में इस कोतवाल ने ब्रिटिश हुकूमत की नींव हिला दी थी, जानिए इस क्रांतिकारी के बारे में मोदी सरकार ने उम्मीद पूरी नहीं की किसान संगठन ने कहा कि मोदी और भाजपा से किसानों को बड़ी उम्मीद थी, इसलिए उन्होंने 2014 में भाजपा का साथ दिया था, लेकिन भाजपा सरकार ने उनकी उम्मीदें पूरी नहीं की। उन्होंने कहा कि किसानों को स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार, सी2 स्तर पर 50 फीसदी लाभ के साथ एमएसपी देने का आश्वासन दिया गया था। गौरतलब है कि ए2 में किसानों द्वारा फसल के उत्पादन में किए गए मौद्रिक खर्च शामिल हैं, जिसमें बीज और खाद या उर्वरक से लेकर मजदूरी जुताई, सिंचाई आदि पर होने वाला खर्च शामिल है। जबकि ए2 और एफएल के योग में किसान परिवार द्वारा किए गए श्रम का पारिश्रमिक शामिल हो जाता है। वहीं, ए2 प्लस एफल और सी2 में जमीन का किराया भी शामिल हो जाता है। उन्होंने कहा कि वेस्ट यूपी में करीब एक करोड़ परिवार खेती से सीधे तरीके से जुड़ा हुआ है। खरीफ की जिस फसलों का एमएसपी बढ़ाए गए हैं, वह क्षेत्रवार है। धान को छोड़कर ऐसी कोई फसल नहीं है। जो देश के प्रत्येक हिस्से में होती हो।