scriptटाॅप ट्रैकर ‘बाबू’ आैर उसकी बहन ‘बेब’ की ट्रेनिंग फौजी से कम नहीं, जानकर हैरान रह जाएंगे आप! | Top Tracker 'Babu' and his sister 'Babe' training like armyman | Patrika News

टाॅप ट्रैकर ‘बाबू’ आैर उसकी बहन ‘बेब’ की ट्रेनिंग फौजी से कम नहीं, जानकर हैरान रह जाएंगे आप!

locationमेरठPublished: Feb 22, 2019 03:15:56 pm

Submitted by:

sanjay sharma

डाॅग्स ‘बाबू’ आैर ‘बेब’ अखिल भारतीय पुलिस खेल प्रतियोगिताआें में दो साल से हैं सर्वश्रेष्ठ, अापराधिक घटना होने के बाद संदिग्धों को पकड़वाने में है महारथ

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टाॅप ट्रैकर ‘बाबू’ आैर उसकी बहन ‘बेब’ की ट्रेनिंग फौजी से कम नहीं, जानकर हैरान रह जाएंगे आप!

मेरठ। डाॅग्स ‘बाबू’ आैर उसकी बहन ‘बेब’ दोनों टाॅप ट्रैकर हैं। अपनी सूंघने की क्षमता आैर करतब से ये दोनों डाॅग्स दिल्ली पुलिस की के-नाइन यूनिट में दो साल से हैं। इनमें सूंघने की जबरदस्त क्षमता है तो अन्य डाॅग्स से आगे रहने का जज्बा भी। तभी डाॅग्स ट्रैकर ‘बाबू’ व ‘बेब’ टाॅप ट्रैकर की श्रेणी में हैं। दोनों ही अखिल भारतीय पुलिस खेल प्रतियोगिताआें में पिछले दो साल से सर्वश्रेष्ठ साबित हो रहे हैं। खेल प्रतियाेगिताआें से अलग इनकी सूंघने की गजब की क्षमता के कारण दोनों ही दिल्ली पुलिस का अहम हिस्सा बन चुके हैं। इनकी जिस तरह की ट्रेनिंग हुर्इ है, फौजियों से कमतर बिल्कुल नहीं है। लैब्रडाॅर नस्ल के ‘बाबू’ आैर उसकी बहन ‘बेब’ का पालन-पोषण पंजाब में हुआ तो इन्हें जबरदस्त ट्रेनिंग दी गर्इ मेरठ कैंट की रिमाउंट वेटनरी कोर सेंटर एंड कालेज की डाॅग ट्रेनिंग फैकल्टी में। इस समय ‘बाबू’ आैर ‘बेब’ दिल्ली पुलिस का महत्वपूर्ण अंग बन चुके हैं, क्योंकि ये अपराध होने के कर्इ घंटे बाद भी अपनी सूंघने की क्षमता से दिल्ली पुलिस को संदिग्धों तक पहुंचा देते हैं।
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आरवीसी में मिली है दाेनों को ट्रेनिंग

मेरठ कैंट की रिमाउंट वेटनरी कोर सेंटर एंड कालेज की डाॅग ट्रेनिंग फैकल्टी में टाॅप ट्रैकर ‘बाबू’ आैर ‘बेब’ की ट्रेनिंग हुर्इ। 1959 में आरवीसी सेंटर में शुरू हुर्इ डाॅग फैकल्टी में अभी एक हजार से ज्यादा इन मूक योद्धाआें को तैयार किया गया है, जिनका भारतीय सेना, पुलिस व अन्य सुरक्षा एजेंसियों में अहम योगदान रहा है। मूक योद्धा ‘बाबू’ आैर ‘बेब’ की भी ट्रेनिंग भी यहीं पर हुर्इ। इन दोनों को छह से नौ महीने की आयु में कठोर ट्रेनिंग हुर्इ है। यह ट्रेनिंग फौजियों से कम बिल्कुल नहीं आंकी है। आरवीसी डाॅग फैकल्टी में डाॅग्स की कठोर ट्रेनिंग सुबह चार बजे से शुरू हो जाती है। इसमें ग्रूमिंग, व्यायाम, खाना-पीना आैर गहन प्रशिक्षण शामिल है। सेना के डाॅग्स प्रशिक्षण में संदिग्ध चीजों की पहचान करने आैर कराने की विशेष ट्रेनिंग दी गर्इ। इनमें टाॅय गन, टाॅय रोबोट, डाॅल्स, बाॅल्स का इस्तेमाल करके संदिग्ध चीजों की पहचान करने की ट्रेनिंग दी गर्इ। ट्रेनिंग सेंटर में ही स्पेशल थिएटर में यहां उन्हें चीजों को समझाने के लिए कार्टून फिल्में भी ट्रेनिंग का हिस्सा है। इस प्रशिक्षण के बाद पूरा टेस्ट होता है, टेस्ट में फेल होने पर डाॅग्स को फिर से ट्रेनिंग दी जाती है। डाॅग ‘बाबू’ आैर ‘बेब’ इसी ट्रेनिंग का हिस्सा रहे आैर टेस्ट पास करके दिल्ली पुलिस का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए।
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आरवीसी में ये दी जाती है विशेष ट्रेनिंग

सेना की आरवीसी सेंटर एंड कालेज की डाॅग फैकल्टी में शुरू में सामान्य व नियमित ट्रेनिंग दी जाती है। फिर यहां के डाॅग्स को विशेषज्ञता की ट्रेनिंग दी जाती है। इनमें माइन डिटेक्शन, गार्ड, एक्सप्लोसिव डिटेक्शन, सर्च एंड रेस्क्यू समेत तमाम ट्रेनिंग दी जाती है।
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