मेरठ में जातीय संघर्ष: सबकुछ ठीक चल रहा था, सिर्फ इस शब्द ने करा दिया उल्देपुर में बवाल दरअसल, बीते गुरुवार की देर शाम गांव कपसाढ़ के एक दलित युवक ने राजपूत समाज की चार साल की बच्ची को अपनी हवस का शिकार बना लिया था। घटना से आक्रोशित राजपूतों ने दलित बस्ती पर हमला करके उनके घरों में तोड़फोड़ करते हुए मारपीट कर दी थी। इसके चलते दलित लोग दहशत में आ गए थे। दुष्कर्म और मारपीट की घटना के बाद गांव में फैले तनाव को देखते हुए वहां कई थानों की पुलिस के साथ पीएससी व सीआरपीएफ के जवानों को भी तैनात किया गया है। इलाके के कुछ जिम्मेदार लोगों को भी गांव में भाईचारा मजबूत बनाने के लिए लगाया है, जो दोनों पक्ष के लोगों से बात कर समझौते का प्रयास कर रहे हैं। इसकी चिंगारी उल्देपुर गांव में भी फैल गई थी, जिसके कारण वहां भी दलितों और चौहानों मे खूनी संघर्ष हुआ और एक दलित युवक की मौत हो गई थी। इस गांव में भी लोगों के बीच आक्रोश पनप रहा है।
मेरठ में जातीय संघर्ष के बाद रात को गोलियों की आवाज से गूंजता रहा गांव, भारी फोर्स तैनात उल्देपुर निवासी रोहित के पिता देवेंद्र का कहना है कि जातीय संघर्ष में उनके जवान बेटे की जान चली गई, लेकिन पुलिस लचर रवैया अपना रही है। घटना के पांच दिन बाद भी अन्य हत्यारोपी शिकंजे से बाहर हैं। आरोप है कि पीड़ितों के घर के आस-पास आरआरएफ व पुलिस का कड़ा पहरा लगा रखा है, जबकि पुलिस आरोपियों के घर पर दबिश नहीं डाल रही है। पुलिस सत्ता पक्ष के दबाव में है। दूसरी ओर पीड़ितों को ग्रामीण, रिश्तेदार व कई संगठनों के लोग सांत्वना देने के लिए पहुंच रहे हैं।
एसपी देहात राजेश कुमार का कहना है कि कपसाढ़ और उल्देपुर दोनों गांवों में सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस तैनात है। फिलहाल दोनों गांवों में शांति है। उल्देपुर प्रकरण में पुलिस आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास कर रही है।