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Ganesh Chaturthi 2018: अभिजीत योग में ऐसे करें गणपति की स्थापना

locationमेरठPublished: Sep 13, 2018 11:13:39 am

Submitted by:

sanjay sharma

13 सितंंबर को दोपहर को भगवान गणेश जी की नौ इंच से कम की मूर्ति करें स्थापित
 

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Ganesh Chaturthi 2018: अभिजीत योग में ऐसे करें गणपति की स्थापना

मेरठ। भाद्र पक्ष शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश का प्राकट्य हुआ था। सबसे पहले पूजे जाने वाले भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना दोपहर अभिजीत योग में करना शुभ होता है। पंडित भारत ज्ञान भूषण के अनुसार भगवान श्री गणेश बुद्धि के तो देवता हैं ही ये रिद्धि और सिद्धि दोनों के प्रदाता भी हैं। श्री गणेश विघ्नहर्ता एवं विघ्नकर्ता दोनों ही हैं। इसलिए गणेश चतुर्थी पर इनकी विशेष प्रार्थना करें। भगवान गणेश जीवन में शुभ प्रभावों में आने वाले विघ्नों को हरते हैं तथा जीवन में आने वाले अशुभ प्रभावों के विघ्नकर्ता माने जाते हैं।
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नौ इंच से कम की मूर्ति करें स्थापित

इस प्रकार से गणेश चतुर्थी के दिन विशेषतः दोपहर 12 बजे के लगभग गणेश जन्मोत्सव इस भावना से अवश्य मनाना चाहिए ताकि सदबुद्धि प्राप्त कर अध्यात्मिक व भौतिक दोनों प्रकार कि प्रगतियां भरपूर कर पाएं। गणेश जन्मोत्सव पर नए गणेश का विग्रह अथवा छोटी मूर्ति नौ इंच से कम अपने घर में शुद्धता पूर्ण उत्तर दिशा में स्थापित इस प्रकार करें कि आपकी पूजा के समय मुख उत्तर दिशा कि ओर हो। हरे रंग का वातावरण श्री गणेश को भी तथा गणेश जी के उपासक बुध देव को भी अत्यंत प्रिय है।
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इस समय करें गणेश मंत्र का जाप

जो लोग उपवास एवं व्रत का संकल्प लेकर गणेश विग्रह को सिन्दूर का चोला चढ़ाते हैं। अर्थात सिन्दूर का लेपन करते हैं तथा पांच कि संख्या में बूंदी के लड्डू जिन्हें मोदक कहा जाता है, दूब घास जिसे दूर्वा कहा जाता है का भोग के साथ शंख-घंटे, घड़ियाल, वाद्य यंत्रों के साथ गणेश जी की आरती जो लोग कर पाते हैं तथा गणेश जी के मन्त्रों एवं श्लोकों का जाप विशेषतयः दोपहर व गोधुली के समय सांयकाल के समय कर के श्रेष्ठ ब्राह्मण को भोजन करवाएं। इसके बाद स्वयं भोजन करें। ऐसा करने से गणेश जन्मोत्सव पर अग्रपूज्य भगवान गणेश की पूर्ण कृपा प्राप्त होने के योग बनते हैं।
आज ही कलंक चतुर्थी भी

ध्यान रहे गणेश चतुर्थी को कलंक चतुर्थी भी कहा जाता है। इस दिन गणेश जी द्वारा चंद्रमा को श्रापित किया गया था कि भाद्र शुक्ल चतुर्थी को जो भी चन्द्र दर्शन करेगा वह कलंकित होकर झूठे आरोपों से आरोपित होने के योग बना लेगा। भगवान श्री कृष्ण भी चंद्रमा को देखने पर इस दोष से नहीं बच पाए थे। इसलिए इस दिन चंद्रमा दर्शन से बचना चाहिए।
इस कारण कुपित हुए थे चंद्रमा

अपने जन्म दिन पर श्री गणेश महाराष्ट्र से कैलाश पर्वत पर अपने माता-पिता का आशीर्वाद लेने के लिए समय से पहुँचने की जल्दी में मूषक पर सवार होकर तेजी से कैलाश पर्वत पर चढ रहे थे। रात्रि में पर्वत की चढ़ाई और मूषक को फुदकते देख चतुर्थी के चंचल चन्द्रमा को हंसी आ गयी ओर हास्यस्पद स्थिति में श्री गणेश का चन्द्रमा ने उपहास कर दिया तभी गणेश द्वारा श्रापित हुए चन्द्र देव और इसलिए इसे कलंकी चतुर्दशीनाम से भी याद किया जाता है। ताकि ना भूलें कि इस तिथि को चन्द्र दर्शन पर कलंक योग बन जाता है।

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