दरअसल, रैली के प्रारंभ होने से पहले ही भाजपा के कुछ नेताओं ने संगठन पदाधिकारियों पर आरोप लगाते हुए हंगामा शुरू कर दिया। वहीं नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना के सर्किट हाउस में पहुंचने पर सफाई कर्मचारियों ने भी उनकी गाड़ी का घेराव कर हंगामा किया। जिसके बाद जैसे-तैसे गाड़ी से निकलकर मंत्री जब सर्किट हाउस में कमरों की तरफ आगे बढ़े तो बरामदे में भारी भीड़ जमा थी, जिसे देखकर वह अंदर नहीं गए और बाहर खड़ी खुली जीप में सवार हो गए। उनके साथ कई अन्य नेता भी जीप में जा चढ़े।
जैसे ही भाजपा नेताओं ने जीप को आगे बढ़वाया तो जीप के सामने अचनाक से भाजपा नेता और प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य सुनील भराला आ गए और उन्होंने संगठन पदाधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि साजिश के तहत मंत्री को यहां से लेकर जा रहे हैं, जबकि अंदर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डा लक्ष्मीकांत वाजपेयी, जिलाध्यक्ष और अन्य विधायक इंतजार में बैठे हैं। इसके बाद लक्ष्मीकांत वाजपेयी को नगर विकास मंत्री ने जीप के पास ही बुलाया। हालांकि जीप में अंदर न जाकर वह गाड़ी के बोनट पर ही चढ़ गए और इस पूरी रैली में वह बोनट पर ही बैठे रहे। जबकि जिलाध्यक्ष रविन्द्र भड़ाना किनारे ही रहे और इसे लेकर भी खासा हंगामा रहा।
इसके बाद वाजपेयी ने बताया कि मंत्री जी ने स्वयं हाथ बढ़ाकर मुझे बुलाया, जब वहां गया तो जगह नहीं दिखी, वहीं अगर मैं जीप पर लटक कर जाता तो यह शोभा नहीं देता। जिसके चलते मैं जीप के बोनट पर बैठ गया। उन्होंने कहा कि यह मेरा शहर है और मैं यहां एक कार्यकर्ता हूं, न कि नेता हूं। मैं कार्यकर्ताओं के बीच बोनट पर ही बैठा रहा। वहीं जिलाध्यक्ष रविन्द्र भड़ाना ने कहा कि वह जनता के बीच में सर्किट हाउस में थे। इस पूरे कार्यक्रम में कुछ खामियां जरूर रहीं, कुछ पदाधिकारियों को सिर्फ अपनी चिंता रहती है। जिसके चलते जनप्रतिनिधियों की भी परवाह नहीं कर रहे हैं।