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पुलिस वालों के बेटे करते थे आॅनलाइन शाॅपिंग के सामान की लूटपाट, सामने आयी सच्चार्इ तो अफसरों के मुंह खुले रह गए 2016 का है यह मामला मीनाक्षी शर्मा ने शिकायती पत्र में अारोप लगाते हुए कहा था कि छह सितंबर 2016 को उसके बड़े भार्इ विजय शर्मा को थाना साहिबाबाद पुलिस ने गैर कानूनी रूप से घर से उठाकर ले गर्इ थी आैर उसे थाने में बिठाए रखा। मीनाक्षी शर्मा ने आरोप लगाया कि इस संबंध में जब सीआे बाॅर्डर साहिबाबाद आशीष श्रीावस्तव व थाने में बात की तो उनसे छोड़ने की एवज में दो लाख रुपये की मांग की गर्इ। आरोप है कि सीआे बाॅर्डर साहिबाबाद ने कहा था कि यदि दो लाख रुपये नहीं दिए तो मुकदमे में फंसा देंगे, सुबह तक इंतजाम कर लो। शिकायतकर्ता का कहना है कि रिश्वत नहीं देने पर उसके भार्इ को राधेमोहन नगर चौकी इंचार्ज राधेश्याम, एसएचआे शीला चौधरी, सिपाही दीपक व एक अन्य पुलिसकर्मी ने बुरी तरह पीटा। उसके बाद उसे आठ सितंबर को एक झूठे मुकदमे में कोर्ट में पेश करके जेल भिजवा दिया। इस संबंध में शिकायतकर्ता मीनाक्षी शर्मा ने पुलिस अफसरों से शिकायत भी की थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
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दुपहिया पर अगर ये नाम लिखे मिले तो खैर नहीं, पुलिस ने अभियान शुरू करने के बाद की ये कार्रवार्इ अदालत में दिया था प्रार्थना पत्र मीनाक्षी शर्मा ने थकहार मेरठ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम अदालत में प्रार्थना पत्र दिया। अदालत की सुनवार्इ के दौरान साहिबाबाद थाने से रिपोर्ट भी मंगवार्इ गर्इ। साथ ही मेडिकल रिपोर्ट को भी अदालत ने संज्ञान में लिया, जिसमें पीड़ित विजय शर्मा के शरीर पर गंभीर चोटों की बात दर्ज थी। इसके पश्चात अदालत ने सीआे बाॅर्डर समेत चार पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमे के आदेश दिए।