बता दें कि मेरठ निवासी रामआस नेत्रहीन हैं उनका कहना है कि नेत्रहीन होने के बाद जब कोई काम नहीं मिला तो सोचा चलो कुछ समाज का ही भला किया जाए। कुछ ऐसा किया जाए कि लोगों के काम आए। वे कहते हैं यही सोचकर करीब पांच साल पहले वे मेरठ मेडिकल काॅलेज के कैंपस में हारमोनियम लेकर अकेले बैठ गए। उस शाम उनके पास एक महिला आई और बोली बाबा मेरे पति बीमार हैं आप ईश्वर से प्रार्थना करें कि वे ठीक हो जाएं। रामआस ने दो दिन तक ईश वंदना में महिला के पति ठीक होने की प्रार्थना की और दो दिन बाद वह महिला अपने पति के साथ आई और बोली बाबा हम घर जा रहे हैं मेरे पति ठीक हो गए हैं। बस फिर क्या था तब से रामआस ने यही बीड़ा उठा लिया कि मेडिकल में भर्ती मरीजों के ठीक होने के लिए भजन गाएंगे और ईश्वर से उनके स्वास्थ्य कामना की प्रार्थना करेंगे। वे अकेले ही थे, लेकिन अब उनके साथ तीन लोग और भी हो गए हैं वे भी नेत्रहीन हैं।
मेडिकल परिसर में नर्सों और कर्मचारियों के बीच हैं चर्चित मनोकामना वाले अंधे बाबा के नाम से वे मेडिकल परिसर में काफी चर्चित हैं। बीमार लोगों के परिजनों को भर्ती के बाद मेडिकल के कर्मचारी और नर्से खुद उनको अंधे बाबा के पास अपने मरीज की स्वास्थ्य कामना के लिए भेज देते हैं। अंधे बाबा रामआस मरीज का नाम पूछते हैं और उसके ठीक होने की कामना भगवान से करते हैं।