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अधिमास में इस तरह करें भगवान विष्णु की पूजा, पूरी होंगी सभी मनोकामना

locationमेरठPublished: Sep 19, 2020 10:35:55 am

Submitted by:

Rahul Chauhan

Highlights
-श्रीमद्भागवत पुराण का पाठ करने से मिलेगा ये लाभ
-हरे कृष्णा, हरे रामा की धुन पर निकाल रहे नगर कीर्तन

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मेरठ। अधिमास यानी कि मलमास शुरू हो गया। जो कि एक महीने तक चलेगा। अधिमास में भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम और श्रीकृष्ण की पूजा इन दिनों हो रही है। इस माह में भगवान विष्णु की पूजा करने से कई गुना फल मिलता है। मेरठ में इन दिनों प्रात: विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण की जय जयकार के साथ नगर कीर्तन निकाली जा रही है।
बंद हो जाते हैं सभी शुभ काम

इस एक महीने में सभी प्रकार के शुभ कार्य जैसे विवाह, यज्ञ, देव प्रतिष्ठा, महादान, चूड़ाकर्ण (मुंडन), पहले कभी न देखे हुए देवतीर्थो में गमन, नवगृह प्रवेश, वृषोत्सर्ग, संपत्ति, नई गाड़ी का क्रय आदि पर ब्रेक लग गया है। इस एक महीने में कोई भी शुभ कार्यों का आरंभ नही करना चाहिए। इसके अतिरिक्त अन्य अनित्य और अनैमित्तिक कार्य जैसे नववधू प्रवेश, नव यज्ञोपवीत धारण, व्रतोद्यापन, नव अलंकार, नवीन वस्त्र धारण करना, कुआं, तालाब आदि का खनन करना आदि कर्मों को भी निषेध माना गया है।
अधिमास में ऐसे करें भगवान विष्णु की पूजा

पंडित भारत ज्ञान भूषण के अनुसार पुराणों में अधिक मास में पूजन, व्रत, दान संबंधी विभिन्न प्रकार के नियम बताए गए हैं। इस मास में प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व उठकर नित्यकर्म करके भगवान का स्मरण करना चाहिए। पुरुषोत्तम मास में श्रीमद्भागवत पुराण का पाठ करना महान पुण्य दायक है और एक लाख तुलसी पत्र से शालिग्राम भगवान का पूजन करने से अनंत पुण्य मिलता है। अधिक मास की समाप्ति पर स्नान, जप, पुरुषोत्तम मास पाठ और मंत्र सहित या केवल भगवान का स्मरण कर गुड़, गेंहू, घृत, वस्त्र, मिष्ठान, केला, कूष्माण्ड (कुम्हड़ा), ककड़ी आदि ऋतुफल, मुली आदि वस्तुओं का दान करके भगवान को तीन बार अर्घ्य प्रदान करें।
तीन साल में चंद्रमा और सूर्य के बीच संतुलन स्थापित करने आता है अधिमास

अधिक मास तीन साल में चंद्रमा और सूर्य के बीच संतुलन स्थापित करने के लिए आता है। इसे मल मास और पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। इस साल अधिक मास आज से शुरू हो गया है जो 16 अक्तूबर तक रहेगा। इन दिनों में भगवान विष्णु और शिव के पूजन का विशेष महत्व होता है। ऐसा करने से भक्तों को आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है।
पुरुषोत्तम मास का महात्म्य

ज्योतिषाचार्य के अनुसार अधिक मास की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु (भगवान पुरुषोत्तम) ने इसे अपना नाम दिया और कहा है कि अब मै इस मास का स्वामी हो गया हूं। अब यह जगत पूज्य होगा और द्रारिद्रय का नाश करने वाला होगा। इस मास में नियमपूर्वक संयमित होकर भगवान विष्णु और शिव की पूजा करने से अलौकिक और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है तथा मृत्यु के बाद किसी प्रकार की अधोगति का भय नही होता है।
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