मऊ. जनवरी की 15 तारीख बीत गयी और इसके साथ ही खत्म हो गया मस्जिद, मंदिर और अन्य धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर के लिये परमिशन की डेडलाइन। अब प्रशासन इस बात की कवायद में जुट गया है कि बिना परमिशन के किसी धार्मिक स्थल पर लाउडस्पीकर न बजे। जिला प्रशासन के आलाधिकारी ध्वनि प्रदूषण रोकने के हाईकोर्ट के आदेश को शत-प्रतिशत लागू करने की कवायद में जुट गए हैं।
सीओ सिटी राजकुमार ने बताया कि ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिये हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच का स्पष्ट आदेश है। ध्वनि प्रदूषण की रोकथाम और लाउडस्पीकर व ध्वनि विस्तारक यंत्रों के लिये नए मानकों के साथ एडवाइजरी भी जारी की गयी है। इसके तहत रात 10 बजे से लेकर सुबह छह बजे तक किसी भी तरह का ध्वनि विस्तारक यंत्र पूर्णतया वर्जित रहेगा।
मौलवी अताउर्रहमान तो कहते हैं कि कि हम लाउस्पीकर बजाते ही रहेगें। जहां तक बात है परमिशन लने की तो वह लेंगे, पर अजान का समय तो नही बदल सकता।
ऐतिहासिक शीतला धाम के पुजारी दीपक मिश्रा ने एवाइजरी के अनुपालन और परमिशन लेने की बात तो कही है। हालांकि उन्होंने मंदिर में पूजा-पाठ और भजन कीर्तन के लिये लाउडस्पीकर ही अच्छा बताया है।
बड़ी मस्जिद के मौलान इफ्तेखार अहमद ने फैसले का स्वागत किया है और परमिशन के मुताबिक ही लाउडस्पीकर बजाने की बात कही है।
ब्रम्हस्थान के मन्दिर के पुजारी देवनाथ ने तो यहां तक कहा कि लाउडस्पीकर से ही मंदिर में रौनक होती है। हालांकि उन्होंने परमिशन लेने की बात कही।
घोसी के सांसद हरिनारायण राजभर ने इसे ध्वनि प्रदूषण के लिये जरूरी बताया और कहा कि इसके लिये सभी के साथ की जरूरत है।