कांग्रेस नेता दूध नाथ चौहान का कहना है कि बालकृष्ण चौहान की छवि जिले में दल बदलू नेता के रूप में हो चुकी है। राजनीतिक लाभ के लिए बसपा के बाद वह सपा में गए फिर बीजेपी में गए, फिर उन्होंने अपनी पार्टी बनाई, जब कोई लाभ नहीं मिला तो फिर बसपा में शामिल हुए टिकट नहीं मिला और 2019 में जब बसपा से निष्कासित हुए तो कांग्रेस में शामिल हो गए।
बता दें कि कांग्रेस ने जिले के 145000 चौहान मतदाताओं को साधने के लिए प्रत्याशी बनाया है लेकिन इसका फायदा कांग्रेस को नहीं मिलता दिख रहा है। चुनाव से पहले हो रहे इस विरोध ने कांग्रेस ने मुश्किलें बढ़ा दी है।
जानिए कौन है बालकृष्ण चौहान
बालकृष्ण चौहान घोसी लोकसभा सीट में कभी बसपा का बड़ा चेहरा हुआ करते थे । 1999 में वह पहली बार घोसी लोकसभा सीट से सांसद बने, मगर 2004 में वह सपा के चंद्रदेव प्रसाद राजभर से चुनाव हार गये । 2009 में उन्हें बसपा से टिकट मिलने की चर्चा थी, मगर उनकी जगह दारा सिंह चौहान को टिकट दिया गया। 2012 में इन्हें पार्टी विरोधी गतिविधि के चलते बसपा से निष्काषित किया गया जिसके बाद वह सपा में शामिल हो गये । 2014 लोकसभा चुनाव में सपा से इनका टिकट फाइनल था, मगर एक बार फिर इनका टिकट कट गया और सपा ने राजीव राय को प्रत्याशी बना दिया । राजीव राय और बालकृष्ण के समर्थकों में झड़प हुई थी। इस घटना के बाद बालकृष्ण का मोह सपा से भंग हो गया और उन्होंने 2018 में सपा की सदस्यता छोड़कर वापस बसपा का दामन थाम लिया। एक बार फिर इन पर अनुशासनहीनता का आरोप लगा और पार्टी ने इन्हें बाहर निकाल दिया । 07 मार्च 2019 को वह अपने समर्थकों के साथ लखनऊ में कांग्रेस में शामिल हुए थे, जिसके बाद शनिवार को जारी कांग्रेस की चौथी लिस्ट में उन्हें घोसी लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया गया।
BY- VIJAY MISHRA