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किसान सम्मान निधि के नाम पर किसानों के साथ यह क्या हो रहा है, पढ़िए पूरी रिपोर्ट

locationमथुराPublished: Oct 03, 2019 04:38:08 pm

-भाकियू ने लगाया किसानों के साध धोखा करने का आरोप-दूसरी किश्त में पात्रों की संख्या घटकर 1 लाख 42 हजार हो गई-तीसरी किश्त में मात्र 42 हजार किसान ही इस योजना में माने गये पात्र

मथुरा। किसान सम्मान निधि की पहली किश्त हासलि करने वाले जनपद के 80 प्रतिशत किसान अब इस योजना के लिए अपात्र हो गये हैं। सरकार की महत्वाकांक्षी किसान सम्मान निधि योजना में हर किश्त के बाद पात्र किसानों की संख्या कम होती जा रही है। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले लागू की गई इस योजना का लाभ जनपद में 2 लाख 32 हजार किसानों को पहली किश्त के रूप में मिला था। दूसरी किश्त लोकसभा चुनाव के ठीक बाद जारी हुई और पात्र किसानों की संख्या घटकर 1 लाख 42 हजार रह गई। यानी इस योजना के लिए 90 हजार किसान अपात्र घोषित कर दिये गये। तीसरी किश्त जारी हुई तो जनपद में मात्र 42 हजार किसान ही इस योजना के लिए पात्र माने गये। यानी पहली किश्त हासिल करने वाले किसानों में से 1 लाख 90 हजार किसानों को बाहर कर दिया गया। कृषि विभाग के अधिकारियों के पास इस छंटनी को लेकर कोई ठोस तर्क नहीं है। अब जिम्मेदार विभाग एक दूसरे पर ठीकरा फोड रहे हैं।
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कृषि उपनिदेषक मथुरा धुरेन्द्र कुमार का कहना है कि यह प्रक्रिया कई चरणों से होकर गुजरती है। हमारे यहां से फीड डाटा तहसीलों को भेजा जाता है। इसके बाद दिल्ली से पूरी प्रक्रिया होती है। अब लाभार्थी किसानों की संख्या में कमी क्यों आ रही है, इस बारे में हम ज्यादा कुछ कहने की स्थिति में नहीं है। किसान इस योजना का लाभ लेने के लिए वेबसाइट पर जाकर खुद आवेदन कर सकते हैं। उन्हें किसी अधिकारी के कार्यालय के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं है। एक अनुमान के मुताबिक जनपद में पात्र किसानों की संख्या करीब पांच लाख है।
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चुनावी जुमला भर है यह योजनाः भाकियू
भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष राजकुमार तोमर का कहना है कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले लागू की गई ये योजना सिर्फ चुनावी जुमला था। यही वजह है कि चुनाव से पहले सभी को दो हजार रुपये देकर खुश करने का प्रयास किया गया। पहली किश्त पाने वाले दूसरी और तीसरी किश्त में अपात्र कैसे हो गये। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों के साथ धोखा किया है।
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सरकार ने किसानों को दिया धोखाः कांग्रेस
जिला कांग्रेस के मीडिया प्रभारी विनेश सनवाल का कहना है कि इस योजना से बाहर किये गये किसान वास्तव में अपात्र हैं तो इन्हें पहली किश्त जारी क्यों की गई। चुनावी लाभ लेने के लिए सरकार ने किसानों के साथ धोखा किया है।

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