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Childrens Day Special: पेशे से फैशन डिजाइनर ये युवती गरीब बच्चों के लिए कर रही कुछ ऐसा कि आप भी जज्बे को सलाम करेंगे…

locationमथुराPublished: Nov 14, 2018 04:11:18 pm

Submitted by:

suchita mishra

शिखा बंसल सड़क पर स्कूल चलाकर सैकड़ों बच्चों का भविष्य संवार रही हैं।

shikha bansal

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मथुरा। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को बच्चों से बहुत प्यार था। बच्चे उन्हें चाचा नेहरू कहकर पुकारा करते थे। नेहरू बच्चों की शिक्षा को लेकर बहुत गंभीर थे क्योंकि वे उन्हें देश का भविष्य मानते थे। यही कारण है कि उनके जन्मदिन को देशभर में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिन के अवसर पर आज हमको आपको मिलवाएंगे एक ऐसी शख्सियत से जो पेशे से फैशन डिजाइनर होने के बावजूद चाचा नेहरू के सपने को साकार करने में निस्वार्थ भाव से जुटी हुई हैं। हम बात कर रहे हैं मथुरा की रहने वाली शिखा बंसल की। शिखा मथुरा शहर में करीब डेढ़ साल से गरीब बच्चों के लिए स्ट्रीट स्कूल चलाने का काम कर रही हैं।
सड़क पर भीख मांगने वाले बच्चों को दे रहीं मुफ्त शिक्षा
पत्रिका से बातचीत के दौरान शिखा ने बताया कि सड़कों पर गरीब बच्चों को भीख मांगते, चोरी आदि करते देख उन्हें बहुत दुख होता था। यही सोचकर उन्होंने ‘एस एफ हेल्पिंग सोसाइटी’ के नाम से संस्था बनाई। जिसके बैनर तले वे मथुरा शहर में दो स्कूल चलाती हैं। बच्चों की ये पाठशाला सड़क पर ही चलाई जाती है। इन स्कूलों में वे बच्चे पढ़ते हैं जो सड़क पर भीख मांगते थे, झाडू लगाते थे या गरीबी के चलते चोरी आदि कर लेते थे।
150 छात्र छात्राओं को दे रही हैं शिक्षा
शिखा के मुताबिक उनके स्कूल में करीब 150 छात्र शिक्षा ले रहे हैं। उनमें तीन साल के बच्चों से लेकरर कई महिलाएं भी शामिल हैं। शिखा का कहना है कि उम्र चाहे जो भी हो, हमारा उद्देश्य है कि बच्चों या अनपढ़ लोगों को कम से कम इतना पढ़ना लिखना आ जाए कि कोई उनका फायदा न उठा सके। उनके स्कूल में बच्चों को गुणा भाग, जोड़ घटाना, एल्फाबेट, स्पेलिंग्स, उठने बैठने के तौर तरीके आदि बेसिक शिक्षा दी जाती है।
पांच दिन पढ़ाई, एक दिन क्रिएटिविटी सिखायी जाती है
शिखा का कहना है डेढ़ साल के अंदर उनके पढ़ाए बच्चों में 4 से 5 ऐसे बच्चे हैं जिनका वे अन्य स्कूलों में दाखिला करा चुकी हैं। अब वे आगे की शिक्षा ले रहे हैं। मंगलवार से शनिवार के दिन बच्चों को शिक्षा दी जाती है। रविवार के दिन उन्हें क्रिएटिव काम सिखाया जाता है और सोमवार को बच्चों का अवकाश रहता है। करीब तीन महीने से इन बच्चों को ताइक्वांडो भी सिखाया जा रहा है।
पढ़ाई के साथ भोजन की भी व्यवस्था
शिखा का कहना है कि स्कूल में बच्चों के लिए भोजन की भी व्यवस्था की जाती है। इन सब के लिए उनकी संस्था को किसी प्रकार की सरकारी मदद नहीं मिलती। उनकी संस्था में करीब 25 लोग जुड़े हैं जो अपनी अपनी सेवाएं और क्षमतानुसार आर्थिक मदद देते हैं। वहीं सोसाइटी के लोग भी उन्हें आर्थिक मदद देते हैं जिससे बच्चों की पाठ्य सामग्री आदि आती है।
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