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प्रयागराज कुंभ में योगी आदित्यनाथ के सामने ये तीन मांगें रखेगा संत समाज

locationमथुराPublished: Jan 10, 2019 03:42:59 pm

Submitted by:

suchita mishra

संतों ने कहा- गाय, यमुना और राम मंदिर पर कोरे वायदों से काम नहीं होता। सरकार यदि कुछ कहती है तो वह कार्य क्रिया में भी दिखाई देना चाहिए।

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मथुरा। गाय, यमुना और राम मंदिर पर कोरे वायदों से काम नहीं होता। सरकार यदि कुछ कहती है तो वह कार्य क्रिया में भी दिखाई देना चाहिए। गाय को लेकर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार काम तो कर रही है लेकिन अब सरकार को चाहिए कि गौशाला की बजाय गौ अभ्यारण्य बनाये जाएं और गौ माताओं को अभ्यारण्य में संरक्षित किया जाए। इन सभी मुद्दों को प्रयागराज में कुम्भ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष रखा जाएगा। यह बात ब्रज के प्रमुख संतों ने मंगलवार को बरसाना में मानमंदिर में मीडिया से बातचीत के दौरान कही।
ये बोले संत
माताजी गौशाला में ब्रज के प्रमुख संत, महंत ,भगवताचार्यो से मीडिया ने यमुना शुद्धिकरण, गौरक्षा और राम मंदिर पर खुला संवाद किया। इस दौरान गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि यमुना प्रदूषण दूर करने के लिए संत और यमुना भक्त सतत प्रयास करते रहे हैं मगर अभी तक सभी सरकारों ने निराश ही किया है। गौरक्षा के मामले में भी कोई ठोस कार्यवाही अभी तक नही हुई है। न ही राम मंदिर निर्माण की दिशा में कोई काम हुआ है। वे आज भी उस प्रतीक्षा में है कि कोई शुभ समाचार सामने आए। ज्ञानानंद महाराज ने ये भी कहा कि प्रयाग कुम्भ में संत समाज बैठ कर कोई ठोस निर्णय लेगा।
सरकारों को गुमराह किया जा रहा
मलूक पीठाधीश्वर राजेन्द्र दास महाराज ने मीडिया के सवालों के जवाब में कहा कि सरकार के कोरे वादों से कुछ नही होता,कार्य क्रिया में दिखना चाहिए, जो अभीतक कही भी दिखाई नही दे रहा है। प्रशासन झूठी रिपोर्ट बना कर सरकारों को गुमराह कर देता है। न अभी यमुना साफ हुई, न गंगाजी और न ही गौ रक्षा की दिशा में कोई ठोस कार्य किया जा रहा है।
राम मंदिर को भूल गए तो फिर 50 वर्षो का वनवास झेलना पड़ेगा
बल्लभकुल के महाराज भूषण बाबा का कहना था कि सरकार के साथ साथ समाज की भी काफी जिम्मेदारी बनती है। उसके अनुरूप सहयोग नही मिल रहा है, इसलिए कोई भी योजना सफल नहीं हो पा रही है। भागवत वक्ता संजीव कृष्ण शास्त्री ने कहा कि भाजपा सरकार ने 2004 में हिन्दू समाज की अवहेलना की, राम मंदिर को भूल गए तो उनको 10 वर्ष का वनवास सत्ता में झेलना पड़ा। अब यदि फिर राम मंदिर को भूल गए तो फिर 50 वर्षों का वनवास झेलना पड़ेगा।
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